7 Sept 2020

What is Chandrakar Parikrama?

भगवान शिव की अर्ध परिक्रमा का रहस्य







शिवलिंग की आधी परिक्रमा करने का विधान है। वह इसलिए की शिव के सोमसूत्र को लांघा नहीं जाता है। जब व्यक्ति आधी परिक्रमा करता है तो उसे चंद्राकार परिक्रमा कहते हैं। 

शिवलिंग को ज्योति माना गया है और उसके आसपास के क्षेत्र को चंद्र। आपने आसमान में अर्ध चंद्र के ऊपर एक शुक्र तारा देखा होगा। यह शिवलिंग उसका ही प्रतीक नहीं है बल्कि संपूर्ण ब्रह्मांड ज्योतिर्लिंग के ही समान है।

सोमसूत्र की व्याख्या करते हुए बताया गया है कि भगवान को चढ़ाया गया जल जिस ओर से गिरता है, वहीं सोमसूत्र का स्थान होता है।सोमसूत्र में शक्ति-स्रोत होता है अत: उसे लांघते समय पैर फैलाते हैं इससे देवदत्त और धनंजय वायु के प्रवाह में रुकावट पैदा हो जाती है। 

जिससे शरीर और मन पर बुरा असर पड़ता है। अत: शास्त्रानुसार शिव की अर्ध चंद्राकार प्रदशिक्षा ही करना चाहिये शिवस्यार्ध प्रदक्षिणा’ का मतलब शिव की आधी ही प्रदक्षिणा करनी चाहिए

भगवान शिवलिंग की परिक्रमा हमेशा बांई ओर से शुरू कर जलाधारी के आगे निकले हुए भाग यानी जल स्रोत तक जाकर फिर विपरीत दिशा में लौटकर दूसरे सिरे तक आकर परिक्रमा पूरी करें

''अर्द्ध सोमसूत्रांतमित्यर्थ: शिव प्रदक्षिणीकुर्वन सोमसूत्र न लंघयेत ।।

इति वाचनान्तरात।''

(साभार सनातन हिन्दू धर्म)

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