31 Aug 2020

Shraddh during Pitru Paksha is the time to express gratitude to our ancestors

Pitru Paksha starts with Purnima Shraddha (पूर्णिमा श्राद्ध - 2/9/20, बुधवार) and ends after 16 days on Sarva Pitru Amavasya (सर्वपितृ अमावस श्राद्ध 17/9/20 गुरुवार) which is also known as Sarvapitri Amavasya or Mahalaya Amavasya.

बहुत जिज्ञासा होती है आखिर ये पितृदोष है क्या?
पितृ -दोष शांति के सरल उपाय पितृ या पितृ गण कौन हैं?
आपकी जिज्ञासा को शांत करती विस्तृत प्रस्तुति।



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पितृ पक्ष को श्राद्ध या कनागत के रूप में भी जाना जाता है जो पूर्णिमा श्राद्ध से शुरू होता है, 16 दिनों के बाद सर्व पितृ अमावस्या पर समाप्त होता है जिसे सर्वप्रीति अमावस्या या महालया अमावस्या के रूप में भी जाना जाता है। हिंदू अपने पूर्वज (पितरों) को श्रद्धांजलि देते हैं, विशेष रूप से भोजन प्रसाद के माध्यम से।

पितृ पक्ष में श्राद्ध हमारे पूर्वजों को याद, धन्यवाद और सम्मान करने का समय है। ऐसा माना जाता है कि श्राद्ध के समय, पूर्वज अपने परिजनों को आशीर्वाद देने के लिए धरती पर आते हैं। श्रद्धा की प्रासंगिकता को महाभारत के सबसे महान महाकाव्य में से एक के रूप में जाना जा सकता है।

कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध के बाद, जब सब कुछ समाप्त हो गया, करण (दानवीर कर्ण, बहादुर योद्धा, महाभारत के युद्ध में सबसे महान किंवदंतियों में से एक) की मृत्यु हो गई और स्वर्ग में पहुंच गया, उसे सोने, चांदी और जवाहरात के रूप में भोजन की पेशकश की गई। 

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It is never late to say THANK YOU!

 इस पर, उन्होंने इंद्र (स्वर्ग के स्वामी) से सवाल किया कि उन्हें ऐसा भोजन देने का कारण क्या है। इस पर, इंद्र ने कर्ण से कहा कि अपने पूरे जीवन में उन्होंने सोना, हीरा और चांदी दान किया, लेकिन, अपने पूर्वजों के नाम पर कभी भी भोजन नहीं किया। 

कर्ण ने पलटवार किया कि चूंकि उन्हें अपने पूर्वजों के बारे में जानकारी नहीं थी; इसलिए, उन्होंने ऐसा कभी नहीं किया। इसलिए, इंद्र ने कर्ण को पृथ्वी पर वापस आने के लिए कहा, जहां उन्होंने भोजन दान किया, सोलह दिनों के दौरान तर्पण किया

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पितृ पक्ष के अंतिम दिन को सर्वप्रीति अमावस्या या महालया अमावस्या के रूप में जाना जाता है। पितृ पक्ष का सबसे महत्वपूर्ण दिन महालया अमावस्या है। जो व्यक्ति हमारे पूर्वजों की पुण्यतिथि की सही तारीख नहीं जानते हैं, वे इस दिन श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और भोजन करते हैं।

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पितृ श्राद्ध आरम्भ



पूर्णिमा श्राद्ध - 2/9/20, बुधवार



1 प्रतिपदा श्राद्ध - 3/9/20 गुरुवार
2 द्वितीया श्राद्ध - 4/9/20 शुक्रवार
3 तृतीया श्राद्ध- 5/9/20 शनिवार
4 चतुर्थी श्राद्ध-6/9/20 रविवार
5 पंचमी श्राद्ध- 7/9/20 सोमवार
6 षष्ठी श्राद्ध-8/9/20 मंगलवार
7 सप्तमी श्राद्ध- 9/9/20 बुधवार
8 अष्टमी श्राद्ध- 10/9/20 गुरुवार
9 नवमी श्राद्ध- 11/9/20 शुक्रवार
10 दशमी श्राद्ध- 12/9/20 शनिवार
11 एकादशी श्राद्ध- 13/9/20 रविवार
12 द्वादशी श्राद्ध- 14/9/20 सोमवार
13 त्रयोदशी श्राद्ध- 15/9/20 मंगलवार
14 चतुर्दशी श्राद्ध- 16/9/20 बुधवार
15 सर्वपितृ अमावस श्राद्ध 17/9/20 गुरुवार



घर के प्रेत या पितर रुष्ट होने के लक्षण और उपाय



बहुत जिज्ञासा होती है आखिर ये पितृदोष है क्या?

पितृ -दोष शांति के सरल उपाय पितृ या पितृ गण कौन हैं?

आपकी जिज्ञासा को शांत करती विस्तृत प्रस्तुति।


पितृ गण हमारे पूर्वज हैं जिनका ऋण हमारे ऊपर है ,क्योंकि उन्होंने कोई ना कोई उपकार हमारे जीवन के लिए किया है मनुष्य लोक से ऊपर पितृ लोक है,पितृ लोक के ऊपर सूर्य लोक है एवं इस से भी ऊपर स्वर्ग लोक है।


आत्मा जब अपने शरीर को त्याग कर सबसे पहले ऊपर उठती है तो वह पितृ लोक में जाती है ,वहाँ हमारे पूर्वज मिलते हैं अगर उस आत्मा के अच्छे पुण्य हैं तो ये हमारे पूर्वज भी उसको प्रणाम कर अपने को धन्य मानते हैं की इस अमुक आत्मा ने हमारे कुल में जन्म लेकर हमें धन्य किया इसके आगे आत्मा अपने पुण्य के आधार पर सूर्य लोक की तरफ बढती है।


वहाँ से आगे ,यदि और अधिक पुण्य हैं, तो आत्मा सूर्य लोक को भेज कर स्वर्ग लोक की तरफ चली जाती है,लेकिन करोड़ों में एक आध आत्मा ही ऐसी होती है ,जो परमात्मा में समाहित होती है जिसे दोबारा जन्म नहीं लेना पड़ता मनुष्य लोक एवं पितृ लोक में बहुत सारी आत्माएं पुनः अपनी इच्छा वश ,मोह वश अपने कुल में जन्म लेती हैं।


पितृ दोष क्या होता है?


हमारे ये ही पूर्वज सूक्ष्म व्यापक शरीर से अपने परिवार को जब देखते हैं ,और महसूस करते हैं कि हमारे परिवार के लोग ना तो हमारे प्रति श्रद्धा रखते हैं और न ही इन्हें कोई प्यार या स्नेह है और ना ही किसी भी अवसर पर ये हमको याद करते हैं,ना ही अपने ऋण चुकाने का प्रयास ही करते हैं तो ये आत्माएं दुखी होकर अपने वंशजों को श्राप दे देती हैं,जिसे "पितृ- दोष" कहा जाता है।


पितृ दोष एक अदृश्य बाधा है .ये बाधा पितरों द्वारा रुष्ट होने के कारण होती है पितरों के रुष्ट होने के बहुत से कारण हो सकते हैं ,आपके आचरण से,किसी परिजन द्वारा की गयी गलती से ,श्राद्ध आदि कर्म ना करने से ,अंत्येष्टि कर्म आदि में हुई किसी त्रुटि के कारण भी हो सकता है।


इसके अलावा मानसिक अवसाद,व्यापार में नुक्सान ,परिश्रम के अनुसार फल न मिलना , विवाह या वैवाहिक जीवन में समस्याएं,कैरिअर में समस्याएं या संक्षिप्त में कहें तो जीवन के हर क्षेत्र में व्यक्ति और उसके परिवार को बाधाओं का सामना करना पड़ता है पितृ दोष होने पर अनुकूल ग्रहों की स्थिति ,गोचर ,दशाएं होने पर भी शुभ फल नहीं मिल पाते,कितना भी पूजा पाठ ,देवी ,देवताओं की अर्चना की जाए ,उसका शुभ फल नहीं मिल पाता।


पितृ दोष दो प्रकार से प्रभावित करता है


1.अधोगति वाले पितरों के कारण
2.उर्ध्वगति वाले पितरों के कारण



अधोगति वाले पितरों के दोषों का मुख्य कारण परिजनों द्वारा किया गया गलत आचरण,की अतृप्त इच्छाएं ,जायदाद के प्रति मोह और उसका गलत लोगों द्वारा उपभोग होने पर,विवाहादिमें परिजनों द्वारा गलत निर्णय .परिवार के किसी प्रियजन को अकारण कष्ट देने पर पितर क्रुद्ध हो जाते हैं ,परिवार जनों को श्राप दे देते हैं और अपनी शक्ति से नकारात्मक फल प्रदान करते हैं।


उर्ध्व गति वाले पितर सामान्यतः पितृदोष उत्पन्न नहीं करते ,परन्तु उनका किसी भी रूप में अपमान होने पर अथवा परिवार के पारंपरिक रीति-रिवाजों का निर्वहन नहीं करने पर वह पितृदोष उत्पन्न करते हैं।


इनके द्वारा उत्पन्न पितृदोष से व्यक्ति की भौतिक एवं आध्यात्मिक उन्नति बिलकुल बाधित हो जाती है ,फिर चाहे कितने भी प्रयास क्यों ना किये जाएँ ,कितने भी पूजा पाठ क्यों ना किये जाएँ,उनका कोई भी कार्य ये पितृदोष सफल नहीं होने देता। पितृ दोष निवारण के लिए सबसे पहले ये जानना ज़रूरी होता है कि किस गृह के कारण और किस प्रकार का पितृ दोष उत्पन्न हो रहा है ?


जन्म पत्रिका और पितृ दोष जन्म पत्रिका में लग्न ,पंचम ,अष्टम और द्वादश भाव से पितृदोष का विचार किया जाता है। पितृ दोष में ग्रहों में मुख्य रूप से सूर्य, चन्द्रमा, गुरु, शनि और राहू -केतु की स्थितियों से पितृ दोष का विचार किया जाता है।


इनमें से भी गुरु ,शनि और राहु की भूमिका प्रत्येक पितृ दोष में महत्वपूर्ण होती है इनमें सूर्य से पिता या पितामह , चन्द्रमा से माता या मातामह ,मंगल से भ्राता या भगिनी और शुक्र से पत्नी का विचार किया जाता है।


अधिकाँश लोगों की जन्म पत्रिका में मुख्य रूप से क्योंकि गुरु ,शनि और राहु से पीड़ित होने पर ही पितृ दोष उत्पन्न होता है ,इसलिए विभिन्न उपायों को करने के साथ साथ व्यक्ति यदि पंचमुखी ,सातमुखी और आठ मुखी रुद्राक्ष भी धारण कर ले , तो पितृ दोष का निवारण शीघ्र हो जाता है।


पितृ दोष निवारण के लिए इन रुद्राक्षों को धारण करने के अतिरिक्त इन ग्रहों के अन्य उपाय जैसे मंत्र जप और स्तोत्रों का पाठ करना भी श्रेष्ठ होता है।


विभिन्न ऋण और पितृ दोष


हमारे ऊपर मुख्य रूप से 5 ऋण होते हैं जिनका कर्म न करने (ऋण न चुकाने पर ) हमें निश्चित रूप से श्राप मिलता है ,ये ऋण हैं : मातृ ऋण , पितृ ऋण , मनुष्य ऋण , देव ऋण और ऋषि ऋण।


मातृ ऋण
 माता एवं माता पक्ष के सभी लोग जिनमेंमा,मामी ,नाना ,नानी ,मौसा ,मौसी और इनके तीन पीढ़ी के पूर्वज होते हैं ,क्योंकि माँ का स्थान परमात्मा से भी ऊंचा माना गया है अतः यदि माता के प्रति कोई गलत शब्द बोलता है ,अथवा माता के पक्ष को कोई कष्ट देता रहता है,तो इसके फलस्वरूप उसको नाना प्रकार के कष्ट भोगने पड़ते हैं। इतना ही नहीं ,इसके बाद भी कलह और कष्टों का दौर भी परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी चलता ही रहता है।


पितृ ऋण 
पिता पक्ष के लोगों जैसे बाबा ,ताऊ ,चाचा, दादा-दादी और इसके पूर्व की तीन पीढ़ी का श्राप हमारे जीवन को प्रभावित करता है पिता हमें आकाश की तरह छत्रछाया देता है,हमारा जिंदगी भर पालन -पोषण करता है ,और अंतिम समय तक हमारे सारे दुखों को खुद झेलता रहता है।


पर आज के के इस भौतिक युग में पिता का सम्मान क्या नयी पीढ़ी कर रही है ?
पितृ -भक्ति करना मनुष्य का धर्म है, इस धर्म का पालन न करने पर उनका श्राप नयी पीढ़ी को झेलना ही पड़ता है, इसमें घर में आर्थिक अभाव, दरिद्रता, संतानहीनता ,संतान को विभिन्न प्रकार के कष्ट आना या संतान अपंग रह जाने से जीवन भर कष्ट की प्राप्ति आदि।


देव ऋण
 माता-पिता प्रथम देवता हैं,जिसके कारण भगवान गणेश महान बने |इसके बाद हमारे इष्ट भगवान शंकर जी, दुर्गा माँ, भगवान विष्णु आदि आते हैं , जिनको हमारा कुल मानता आ रहा है ,हमारे पूर्वज भी भी अपने अपने कुल देवताओं को मानते थे , लेकिन नयी पीढ़ी ने बिलकुल छोड़ दिया है इसी कारण भगवान /कुलदेवी /कुलदेवता उन्हें नाना प्रकार के कष्ट /श्राप देकर उन्हें अपनी उपस्थिति का आभास कराते हैं।


ऋषि ऋण 
जिस ऋषि के गोत्र में पैदा हुए ,वंश वृद्धि की ,उन ऋषियों का नाम अपने नाम के साथ जोड़ने में नयी पीढ़ी कतराती है ,उनके ऋषि तर्पण आदि नहीं करती है इस कारण उनके घरों में कोई मांगलिक कार्य नहीं होते हैं,इसलिए उनका श्राप पीडी दर पीढ़ी प्राप्त होता रहता है।


मनुष्य ऋण 
 माता -पिता के अतिरिक्त जिन अन्य मनुष्यों ने हमें प्यार दिया ,दुलार दिया ,हमारा ख्याल रखा ,समय समय पर मदद की गाय आदि पशुओं का दूध पिया जिन अनेक मनुष्यों ,पशुओं ,पक्षियों ने हमारी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मदद की ,उनका ऋण भी हमारे ऊपर हो गया।


लेकिन लोग आजकल गरीब ,बेबस ,लाचार लोगों की धन संपत्ति हरण करके अपने को ज्यादा गौरवान्वित महसूस करते हैं। इसी कारण देखने में आया है कि ऐसे लोगों का पूरा परिवार जीवन भर नहीं बस पाता है,वंश हीनता ,संतानों का गलत संगति में पड़ जाना,परिवार के सदस्यों का आपस में सामंजस्य न बन पाना ,परिवार कि सदस्यों का किसी असाध्य रोग से ग्रस्त रहना इत्यादि दोष उस परिवार में उत्पन्न हो जाते हैं।


ऐसे परिवार को पितृ दोष युक्त या शापित परिवार कहा जाता है रामायण में श्रवण कुमार के माता -पिता के श्राप के कारण दशरथ के परिवार को हमेशा कष्ट झेलना पड़ा,ये जग -ज़ाहिर है इसलिए परिवार कि सर्वोन्नती के पितृ दोषों का निवारण करना बहुत आवश्यक है।


पितृों के रूष्ट होने के लक्षण


पितरों के रुष्ट होने के कुछ असामान्‍य लक्षण जो मैंने अपने निजी अनुभव के आधार एकत्रित किए है वे क्रमशः इस प्रकार हो सकते है।


खाने में से बाल निकलना


अक्सर खाना खाते समय यदि आपके भोजन में से बाल निकलता है तो इसे नजरअंदाज न करें


बहुत बार परिवार के किसी एक ही सदस्य के साथ होता है कि उसके खाने में से बाल निकलता है, यह बाल कहां से आया इसका कुछ पता नहीं चलता। यहां तक कि वह व्यक्ति यदि रेस्टोरेंट आदि में भी जाए तो वहां पर भी उसके ही खाने में से बाल निकलता है और परिवार के लोग उसे ही दोषी मानते हुए उसका मजाक तक उडाते है।


बदबू या दुर्गंध


कुछ लोगों की समस्या रहती है कि उनके घर से दुर्गंध आती है, यह भी नहीं पता चलता कि दुर्गंध कहां से आ रही है। कई बार इस दुर्गंध के इतने अभ्‍यस्‍त हो जाते है कि उन्हें यह दुर्गंध महसूस भी नहीं होती लेकिन बाहर के लोग उन्हें बताते हैं कि ऐसा हो रहा है अब जबकि परेशानी का स्रोत पता ना चले तो उसका इलाज कैसे संभव है


पूर्वजों का स्वप्न में बार बार आना


मेरे एक मित्र ने बताया कि उनका अपने पिता के साथ झगड़ा हो गया है और वह झगड़ा काफी सालों तक चला पिता ने मरते समय अपने पुत्र से मिलने की इच्छा जाहिर की परंतु पुत्र मिलने नहीं आया, पिता का स्वर्गवास हो गया हुआ। कुछ समय पश्चात मेरे मित्र मेरे पास आते हैं और कहते हैं कि उन्होंने अपने पिता को बिना कपड़ों के देखा है ऐसा स्‍वप्‍न पहले भी कई बार आ चुका है।


शुभ कार्य में अड़चन


कभी-कभी ऐसा होता है कि आप कोई त्यौहार मना रहे हैं या कोई उत्सव आपके घर पर हो रहा है ठीक उसी समय पर कुछ ना कुछ ऐसा घटित हो जाता है कि जिससे रंग में भंग डल जाता है। ऐसी घटना घटित होती है कि खुशी का माहौल बदल जाता है। मेरे कहने का तात्‍पर्य है कि शुभ अवसर पर कुछ अशुभ घटित होना पितरों की असंतुष्टि का संकेत है।


घर के किसी एक सदस्य का कुंवारा रह जाना


बहुत बार आपने अपने आसपास या फिर रिश्‍तेदारी में देखा होगा या अनुभव किया होगा कि बहुत अच्‍छा युवक है, कहीं कोई कमी नहीं है लेकिन फिर भी शादी नहीं हो रही है। एक लंबी उम्र निकल जाने के पश्चात भी शादी नहीं हो पाना कोई अच्‍छा संकेत नहीं है। यदि घर में पहले ही किसी कुंवारे व्यक्ति की मृत्यु हो चुकी है तो उपरोक्त स्थिति बनने के आसार बढ़ जाते हैं। इस समस्‍या के कारण का भी पता नहीं चलता।


मकान या प्रॉपर्टी की खरीद फरोख्त में दिक्कत आना


आपने देखा होगा कि कि एक बहुत अच्छी प्रॉपर्टी, मकान, दुकान या जमीन का एक हिस्सा किन्ही कारणों से बिक नहीं पा रहा यदि कोई खरीदार मिलता भी है तो बात नहीं बनती। यदि कोई खरीदार मिल भी जाता है और सब कुछ हो जाता है तो अंतिम समय पर सौदा कैंसिल हो जाता है। इस तरह की स्थिति यदि लंबे समय से चली आ रही है तो यह मान लेना चाहिए कि इसके पीछे अवश्य ही कोई ऐसी कोई अतृप्‍त आत्‍मा है जिसका उस भूमि या जमीन के टुकड़े से कोई संबंध रहा हो।


संतान ना होना


मेडिकल रिपोर्ट में सब कुछ सामान्य होने के बावजूद संतान सुख से वंचित है हालांकि आपके पूर्वजों का इस से संबंध होना लाजमी नहीं है परंतु ऐसा होना बहुत हद तक संभव है जो भूमि किसी निसंतान व्यक्ति से खरीदी गई हो वह भूमि अपने नए मालिक को संतानहीन बना देती है


उपरोक्त सभी प्रकार की घटनाएं या समस्याएं आप में से बहुत से लोगों ने अनुभव की होंगी इसके निवारण के लिए लोग समय और पैसा नष्ट कर देते हैं परंतु समस्या का समाधान नहीं हो पाता। क्या पता हमारे इस लेख से ऐसे ही किसी पीड़ित व्यक्ति को कुछ प्रेरणा मिले इसलिए निवारण भी स्पष्ट कर रहा हूं।


पितृ दोष कि शांति के उपाय



1 सामान्य उपायों में षोडश पिंड दान ,सर्प पूजा ,ब्राह्मण को गौ -दान ,कन्या -दान,कुआं ,बावड़ी ,तालाब आदि बनवाना ,मंदिर प्रांगण में पीपल ,बड़(बरगद) आदि देव वृक्ष लगवाना एवं विष्णु मन्त्रों का जाप आदि करना, प्रेत श्राप को दूर करने के लिए श्रीमद्द्भागवत का पाठ करना चाहिए।


2 वेदों और पुराणों में पितरों की संतुष्टि के लिए मंत्र ,स्तोत्र एवं सूक्तों का वर्णन है जिसके नित्य पठन से किसी भी प्रकार की पितृ बाधा क्यों ना हो ,शांत हो जाती है अगर नित्य पठन संभव ना हो , तो कम से कम प्रत्येक माह की अमावस्या और आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या अर्थात पितृपक्ष में अवश्य करना चाहिए।
वैसे तो कुंडली में किस प्रकार का पितृ दोष है उस पितृ दोष के प्रकार के हिसाब से पितृदोष शांति करवाना अच्छा होता है।


3 भगवान भोलेनाथ की तस्वीर या प्रतिमा के समक्ष बैठ कर या घर में ही भगवान भोलेनाथ का ध्यान कर निम्न मंत्र की एक माला नित्य जाप करने से समस्त प्रकार के पितृ- दोष संकट बाधा आदि शांत होकर शुभत्व की प्राप्ति होती है |मंत्र जाप प्रातः या सायंकाल कभी भी कर सकते हैं :


मंत्र : "ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात।


4 अमावस्या को पितरों के निमित्त पवित्रता पूर्वक बनाया गया भोजन तथा चावल बूरा ,घी एवं एक रोटी गाय को खिलाने से पितृ दोष शांत होता है।


5 अपने माता -पिता ,बुजुर्गों का सम्मान,सभी स्त्री कुल का आदर /सम्मान करने और उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति करते रहने से पितर हमेशा प्रसन्न रहते हैं।


6 पितृ दोष जनित संतान कष्ट को दूर करने के लिए "हरिवंश पुराण " का श्रवण करें या स्वयं नियमित रूप से पाठ करें।


7 प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती या सुन्दर काण्ड का पाठ करने से भी इस दोष में कमी आती है।


8 सूर्य पिता है अतः ताम्बे के लोटे में जल भर कर ,उसमें लाल फूल ,लाल चन्दन का चूरा ,रोली आदि डाल कर सूर्य देव को अर्घ्य देकर ११ बार "ॐ घृणि सूर्याय नमः " मंत्र का जाप करने से पितरों की प्रसन्नता एवं उनकी ऊर्ध्व गति होती है।


9 अमावस्या वाले दिन अवश्य अपने पूर्वजों के नाम दुग्ध ,चीनी ,सफ़ेद कपडा ,दक्षिणा आदि किसी मंदिर में अथवा किसी योग्य ब्राह्मण को दान करना चाहिए।


10 पितृ पक्ष में पीपल की परिक्रमा अवश्य करें अगर १०८ परिक्रमा लगाई जाएँ ,तो पितृ दोष अवश्य दूर होगा।


विशिष्ट उपाय :


1 किसी मंदिर के परिसर में पीपल अथवा बड़ का वृक्ष लगाएं और रोज़ उसमें जल डालें ,उसकी देख -भाल करें, जैसे-जैसे वृक्ष फलता -फूलता जाएगा,पितृ -दोष दूर होता जाएगा,क्योकि इन वृक्षों पर ही सारे देवी -देवता ,इतर -योनियाँ ,पितर आदि निवास करते हैं।


2 यदि आपने किसी का हक छीना है,या किसी मजबूर व्यक्ति की धन संपत्ति का हरण किया है,तो उसका हक या संपत्ति उसको अवश्य लौटा दें।


3 पितृ दोष से पीड़ित व्यक्ति को किसी भी एक अमावस्या से लेकर दूसरी अमावस्या तक अर्थात एक माह तक किसी पीपल के वृक्ष के नीचे सूर्योदय काल में एक शुद्ध घी का दीपक लगाना चाहिए,ये क्रम टूटना नहीं चाहिए।


एक माह बीतने पर जो अमावस्या आये उस दिन एक प्रयोग और करें


इसके लिए किसी देसी गाय या दूध देने वाली गाय का थोडा सा गौ -मूत्र प्राप्त करें उसे थोड़े जल में मिलाकर इस जल को पीपल वृक्ष की जड़ों में डाल दें इसके बाद पीपल वृक्ष के नीचे ५ अगरबत्ती ,एक नारियल और शुद्ध घी का दीपक लगाकर अपने पूर्वजों से श्रद्धा पूर्वक अपने कल्याण की कामना करें,और घर आकर उसी दिन दोपहर में कुछ गरीबों को भोजन करा दें ऐसा करने पर पितृ दोष शांत हो जायेगा।


4 घर में कुआं हो या पीने का पानी रखने की जगह हो ,उस जगह की शुद्धता का विशेष ध्यान रखें,क्योंके ये पितृ स्थान माना जाता है इसके अलावा पशुओं के लिए पीने का पानी भरवाने तथा प्याऊ लगवाने अथवा आवारा कुत्तों को जलेबी खिलाने से भी पितृ दोष शांत होता है।


5 अगर पितृ दोष के कारण अत्यधिक परेशानी हो,संतान हानि हो या संतान को कष्ट हो तो किसी शुभ समय अपने पितरों को प्रणाम कर उनसे प्रण होने की प्रार्थना करें और अपने द्वारा जाने-अनजाने में किये गए अपराध / उपेक्षा के लिए क्षमा याचना करें ,फिर घर अथवा शिवालय में पितृ गायत्री मंत्र का सवा लाख विधि से जाप कराएं जाप के उपरांत दशांश हवन के बाद संकल्प ले की इसका पूर्ण फल पितरों को प्राप्त हो ऐसा करने से पितर अत्यंत प्रसन्न होते हैं ,क्योंके उनकी मुक्ति का मार्ग आपने प्रशस्त किया होता है।


6 पितृ दोष की शांति हेतु ये उपाय बहुत ही अनुभूत और अचूक फल देने वाला देखा गया है,वोह ये कि- किसी गरीब की कन्या के विवाह में गुप्त रूप से अथवा प्रत्यक्ष रूप से आर्थिक सहयोग करना |(लेकिन ये सहयोग पूरे दिल से होना चाहिए ,केवल दिखावे या अपनी बढ़ाई कराने के लिए नहीं )|इस से पितर अत्यंत प्रसन्न होते हैं ,क्योंकि इसके परिणाम स्वरुप मिलने वाले पुण्य फल से पितरों को बल और तेज़ मिलता है ,जिस से वह ऊर्ध्व लोकों की ओरगति करते हुए पुण्य लोकों को प्राप्त होते हैं.|


7 अगर किसी विशेष कामना को लेकर किसी परिजन की आत्मा पितृ दोष उत्पन्न करती है तो तो ऐसी स्थिति में मोह को त्याग कर उसकी सदगति के लिए "गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र " का पाठ करना चाहिए।


8 पितृ दोष दूर करने का अत्यंत सरल उपाय : इसके लिए सम्बंधित व्यक्ति को अपने घर के वायव्य कोण (N-W) में नित्य सरसों का तेल में बराबर मात्रा में अगर का तेल मिलाकर दीपक पूरे पितृ पक्ष में नित्य लगाना चाहिए+दिया पीतल का हो तो ज्यादा अच्छा है ,दीपक कम से कम 10 मिनट नित्य जलना आवश्यक है।


इन उपायों के अतिरिक्त वर्ष की प्रत्येक अमावस्या को दोपहर के समय गूगल की धूनी पूरे घर में सब जगह घुमाएं ,शाम को आंध्र होने के बाद पितरों के निमित्त शुद्ध भोजन बनाकर एक दोने में साड़ी सामग्री रख कर किसी बबूल के वृक्ष अथवा पीपल या बड़ किजद में रख कर आ जाएँ,पीछे मुड़कर न देखें। नित्य प्रति घर में देसी कपूर जाया करें। ये कुछ ऐसे उपाय हैं,जो सरल भी हैं और प्रभावी भी,और हर कोई सरलता से इन्हें कर पितृ दोषों से मुक्ति पा सकता है। लेकिन किसी भी प्रयोग की सफलता आपकी पितरों के प्रति श्रद्धा के ऊपर निर्भर करती है।


पितृदोष निवारण के लिए करें विशेष उपाय ( नारायणबलि नागबलि )


अक्सर हम देखते हैं कि कई लोगों के जीवन में परेशानियां समाप्त होने का नाम ही नहीं लेती। वे चाहे जितना भी समय और धन खर्च कर लें लेकिन काम सफल नहीं होता। ऐसे लोगों की कुंडली में निश्चित रूप से पितृदोष होता है।


यह दोषी पीढ़ी दर पीढ़ी कष्ट पहुंचाता रहता है, जब तक कि इसका विधि-विधानपूर्वक निवारण न किया जाए। आने वाली पीढ़ीयों को भी कष्ट देता है। इस दोष के निवारण के लिए कुछ विशेष दिन और समय तय हैं जिनमें इसका पूर्ण निवारण होता है। श्राद्ध पक्ष यही अवसर है जब पितृदोष से मुक्ति पाई जा सकती है। इस दोष के निवारण के लिए शास्त्रों में नारायणबलि का विधान बताया गया है। इसी तरह नागबलि भी होती है।


क्या है नारायणबलि और नागबलि


नारायणबलि और नागबलि दोनों विधि मनुष्य की अपूर्ण इच्छाओं और अपूर्ण कामनाओं की पूर्ति के लिए की जाती है। इसलिए दोनों को काम्य कहा जाता है। नारायणबलि और नागबलि दो अलग-अलग विधियां हैं। नारायणबलि का मुख्य उद्देश्य पितृदोष निवारण करना है और नागबलि का उद्देश्य सर्प या नाग की हत्या के दोष का निवारण करना है। इनमें से कोई भी एक विधि करने से उद्देश्य पूरा नहीं होता इसलिए दोनों को एक साथ ही संपन्न करना पड़ता है।


इन कारणों से की जाती है नारायणबलि पूजा


जिस परिवार के किसी सदस्य या पूर्वज का ठीक प्रकार से अंतिम संस्कार, पिंडदान और तर्पण नहीं हुआ हो उनकी आगामी पीढि़यों में पितृदोष उत्पन्न होता है। ऐसे व्यक्तियों का संपूर्ण जीवन कष्टमय रहता है, जब तक कि पितरों के निमित्त नारायणबलि विधान न किया जाए।प्रेतयोनी से होने वाली पीड़ा दूर करने के लिए नारायणबलि की जाती है।परिवार के किसी सदस्य की आकस्मिक मृत्यु हुई हो। आत्महत्या, पानी में डूबने से, आग में जलने से, दुर्घटना में मृत्यु होने से ऐसा दोष उत्पन्न होता है।


क्यों की जाती है यह पूजा?


शास्त्रों में पितृदोष निवारण के लिए नारायणबलि-नागबलि कर्म करने का विधान है। यह कर्म किस प्रकार और कौन कर सकता है इसकी पूर्ण जानकारी होना भी जरूरी है। यह कर्म प्रत्येक वह व्यक्ति कर सकता है जो अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहता है। जिन जातकों के माता-पिता जीवित हैं वे भी यह विधान कर सकते हैं।संतान प्राप्ति, वंश वृद्धि, कर्ज मुक्ति, कार्यों में आ रही बाधाओं के निवारण के लिए यह कर्म पत्नी सहित करना चाहिए। यदि पत्नी जीवित न हो तो कुल के उद्धार के लिए पत्नी के बिना भी यह कर्म किया जा सकता है।यदि पत्नी गर्भवती हो तो गर्भ धारण से पांचवें महीने तक यह कर्म किया जा सकता है। घर में कोई भी मांगलिक कार्य हो तो ये कर्म एक साल तक नहीं किए जा सकते हैं। माता-पिता की मृत्यु होने पर भी एक साल तक यह कर्म करना निषिद्ध माना गया है।


कब नहीं की जा सकती है नारायणबलि नागबलि


नारायणबलि गुरु, शुक्र के अस्त होने पर नहीं किए जाने चाहिए। लेकिन प्रमुख ग्रंथ निर्णण सिंधु के मतानुसार इस कर्म के लिए केवल नक्षत्रों के गुण व दोष देखना ही उचित है। नारायणबलि कर्म के लिए धनिष्ठा पंचक और त्रिपाद नक्षत्र को निषिद्ध माना गया है।धनिष्ठा नक्षत्र के अंतिम दो चरण, शततारका, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद एवं रेवती, इन साढ़े चार नक्षत्रों को धनिष्ठा पंचक कहा जाता है। कृतिका, पुनर्वसु, विशाखा, उत्तराषाढ़ा और उत्तराभाद्रपद ये छह नक्षत्र त्रिपाद नक्षत्र माने गए हैं। इनके अलावा सभी समय यह कर्म किया जा सकता है।


पितृपक्ष सर्वाधिक श्रेष्ठ समय


नारायणबलि- नागबलि के लिए पितृपक्ष सर्वाधिक श्रेष्ठ समय बताया गया है। इसमें किसी योग्य पुरोहित से समय निकलवाकर यह कर्म करवाना चाहिए। यह कर्म गंगा तट अथवा अन्य किसी नदी सरोवर के किनारे में भी संपन्न कराया जाता है। संपूर्ण पूजा तीन दिनों की होती है।



संकलित
श्री पित्रलोक अधीश्वर अर्यमा पित्रराजाय नमः 


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Jyotirling Darshan Aug-31-2020 Blessings4You

Namah Shivay!

This Mantra is the nectar, water for our soul.
All worries disappear when we chant the maha-mantra Namah Shivay!
This is the only powerful Mantra that Maa Parvati chanted for connecting to Lord of Lords Mahadev.


कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।


त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बंधू च सखा त्वमेव
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वं मम देव देव

HAR HAR MAHADEV



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आज दिनाँक 31-08-2020 को श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मंगला आरती के दर्शन।


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श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में श्री ओंकार पार्वती के शयन श्रृंगार दर्शन
भाद्रपद शुक्ल द्वादशी रविवार स.2077 (30/08/20)

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श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग जी का भस्म श्रंगार आरती दर्शन!। #31_8_2020_सोमवार!


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श्री सोमनाथ महादेव मंदिर,
प्रथम ज्योतिर्लिंग - गुजरात (सौराष्ट्र)
दिनांकः 31 अगस्त 2020, भाद्रपद शुक्ल त्रयोदशी - सोमवार
प्रातः शृंगार
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आज के दिव्य मंगलमय दर्शन श्री केदार प्रभु,
आप सभी का मंगल करें


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जय शिव शम्भू


हर हर महादेव


जो बंधन में है, वह जीव है !जो बंधन मुक्त है, वह शिव है !


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Krishan Loves You: There is something beyond this physical body

HARE KRISHNA

If I win, someone has to lose, this is their outlook. They have no sense of connectedness, nothing in common with anyone else.






|| जय श्री कृष्ण ||
॥ श्रीमद्‍भगवद्‍गीता ॥ 16.9॥


_एतां दृष्टिमवष्टभ्य नष्टात्मानोऽल्पबुद्धयः ।_
_प्रभवन्त्युग्रकर्माणः क्षयाय जगतोऽहिताः॥_


भावार्थ :


इस प्रकार की दृष्टि को स्वीकार करने वाले मनुष्य जिनका आत्म-ज्ञान नष्ट हो गया है, बुद्धिहीन होते है, ऎसे आसुरी स्वभाव वाले मनुष्य केवल विनाश के लिये ही अनुपयोगी कर्म करते हैं जिससे संसार का अहित होता है। (९)


Meaning:


Holding this view, these narrow-minded, lost souls who engage in acts of terror, rise as enemies of the world for its annihilation.


Explanation:

If we examine the life of any tyrant, gangster, terrorist or despot, a common theme arises. There was one moment in their life where they realized that using physical force on another person gave them power and joy. In other words, they did not have any regard for the consequences of their actions, especially when it came to harming others. Such people are the embodiment of the aasuric or the devilish tendencies.

Shri Krishna now begins to describe such people in great detail. First, he says that such people hold a petty, narrow minded view of the world. If I win, someone has to lose, this is their outlook. They have no sense of connectedness, nothing in common with anyone else. They are nashthaatmaanaha, they are lost souls. They have no concept that there is something beyond the physical body, whether it is god, soul, humanity, nationality, nothing at all.

Now when such people don’t have any connection with other human beings, with the rest of the world, they have no qualms in engaging in acts of terror. We nowadays come across people who create and deploy computer viruses, bombs, chemical weapons and so on. It all begins with a seemingly simple notion - that the body is the only truth in this world, and that everything is justified in preserving one’s body at the expense of someone else’s.

Chant the mantra you have faith in

Hare Krishna

Aaj Ka Panchang 31-8-2020, Samadhan, Rashifal, Birthday Blessings







Aaj 31-8-2020 Ka Panchang


आज का हिन्दू पंचांग



दिनांक 31 अगस्त 2020
दिन - सोमवार
विक्रम संवत - 2077 (गुजरात - 2076)
शक संवत - 1942
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - शरद
मास - भाद्रपद
पक्ष - शुक्ल
तिथि - त्रयोदशी सुबह 08:48 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
नक्षत्र - श्रवण शाम 03:04 तक तत्पश्चात धनिष्ठा
योग - शोभन दोपहर 01:23 तक तत्पश्चात अतिगण्ड
राहुकाल - सुबह 07:46 से सुबह 09:20 तक
सूर्योदय - 06:23
सूर्यास्त - 18:54
दिशाशूल - पूर्व दिशा में
व्रत पर्व विवरण -
विशेष - त्रयोदशी को बैंगन नही खाना होता है।
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)


श्राद्ध पक्ष में अपनाए जाने वाले सभी मुख्य नियम



01 सितम्बर 2020 मंगलवार से महालय श्राद्ध आरम्भ ।
1) श्राद्ध के दिन भगवदगीता के सातवें अध्याय का माहात्मय पढ़कर फिर पूरे अध्याय का पाठ करना चाहिए एवं उसका फल मृतक आत्मा को अर्पण करना चाहिए।
2) श्राद्ध के आरम्भ और अंत में तीन बार निम्न मंत्र का जप करें l
मंत्र ध्यान से पढ़े :
ll देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च l
नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव भवन्त्युत ll
(समस्त देवताओं, पितरों, महायोगियों, स्वधा एवं स्वाहा सबको हम नमस्कार करते हैं l ये सब शाश्वत फल प्रदान करने वाले हैं l)
3) “श्राद्ध में एक विशेष मंत्र उच्चारण करने से, पितरों को संतुष्टि होती है और संतुष्ट पितर आप के कुल खानदान को आशीर्वाद देते हैं
मंत्र ध्यान से पढ़े :
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं स्वधादेव्यै स्वाहा|
4) जिसका कोई पुत्र न हो, उसका श्राद्ध उसके दौहिक (पुत्री के पुत्र) कर सकते हैं l कोई भी न हो तो पत्नी ही अपने पति का बिना मंत्रोच्चारण के श्राद्ध कर सकती है l
5) पूजा के समय गंध रहित धूप प्रयोग करें और बिल्व फल प्रयोग न करें और केवल घी का धुआं भी न करें|
श्राद्ध महिमा पुस्तक से

श्राद्ध में पालने योग्य नियम



श्रद्धा और मंत्र के मेल से पितरों की तृप्ति के निमित्त जो विधि होती है उसे 'श्राद्ध' कहते हैं।
हमारे जिन संबंधियों का देहावसान हो गया है, जिनको दूसरा शरीर नहीं मिला है वे पितृलोक में अथवा इधर-उधर विचरण करते हैं, उनके लिए पिण्डदान किया जाता है।
बच्चों एवं संन्यासियों के लिए पिण्डदान नहीं किया जाता।
विचारशील पुरुष को चाहिए कि जिस दिन श्राद्ध करना हो उससे एक दिन पूर्व ही संयमी, श्रेष्ठ ब्राह्मणों को निमंत्रण दे दे। परंतु श्राद्ध के दिन कोई अनिमंत्रित तपस्वी ब्राह्मण घर पर पधारें तो उन्हें भी भोजन कराना चाहिए।
भोजन के लिए उपस्थित अन्न अत्यंत मधुर, भोजनकर्ता की इच्छा के अनुसार तथा अच्छी प्रकार सिद्ध किया हुआ होना चाहिए। पात्रों में भोजन रखकर श्राद्धकर्ता को अत्यंत सुंदर एवं मधुर वाणी से कहना चाहिए कि 'हे महानुभावो ! अब आप लोग अपनी इच्छा के अनुसार भोजन करें।'
श्रद्धायुक्त व्यक्तियों द्वारा नाम और गोत्र का उच्चारण करके दिया हुआ अन्न पितृगण को वे जैसे आहार के योग्य होते हैं वैसा ही होकर मिलता है। (विष्णु पुराणः 3.16,16)
श्राद्धकाल में शरीर, द्रव्य, स्त्री, भूमि, मन, मंत्र और ब्राह्मण-ये सात चीजें विशेष शुद्ध होनी चाहिए।
श्राद्ध में तीन बातों को ध्यान में रखना चाहिएः शुद्धि, अक्रोध और अत्वरा (जल्दबाजी नही करना)।
श्राद्ध में मंत्र का बड़ा महत्त्व है। श्राद्ध में आपके द्वारा दी गयी वस्तु कितनी भी मूल्यवान क्यों न हो, लेकिन आपके द्वारा यदि मंत्र का उच्चारण ठीक न हो तो काम अस्त-व्यस्त हो जाता है। मंत्रोच्चारण शुद्ध होना चाहिए और जिसके निमित्त श्राद्ध करते हों उसके नाम का उच्चारण भी शुद्ध करना चाहिए।
जिनकी देहावसना-तिथि का पता नहीं है, उनका श्राद्ध अमावस्या के दिन करना चाहिए।
हिन्दुओं में जब पत्नी संसार से जाती है तो पति को हाथ जोड़कर कहती हैः 'मुझसे कुछ अपराध हो गया हो तो क्षमा करना और मेरी सदगति के लिए आप प्रार्थना करना।' अगर पति जाता है तो हाथ जोड़ते हुए पत्नी से कहता हैः 'जाने-अनजाने में तेरे साथ मैंने कभी कठोर व्यवहार किया हो तो तू मुझे क्षमा कर देना और मेरी सदगति के लिए प्रार्थना करना।'
हम एक दूसरे की सदगति के लिए जीते जी भी सोचते हैं, मरते समय भी सोचते हैं और मरने के बाद भी सोचते हैं। (क्या करें क्या न करें पुस्तक से)

श्राद्ध सम्बन्धी बातें

श्राद्ध कर्म करते समय जो श्राद्ध का भोजन कराया जाता है, तो ११.३६ से १२.२४ तक उत्तम काल होता है l
गया, पुष्कर, प्रयाग और हरिद्वार में श्राद्ध करना श्रेष्ठ माना गया है l
गौशाला में, देवालय में और नदी तट पर श्राद्ध करना श्रेष्ठ माना गया है l
सोना, चांदी, तांबा और कांसे के बर्तन में अथवा पलाश के पत्तल में भोजन करना-कराना अति उत्तम माना गया है l लोहा, मिटटी आदि के बर्तन काम में नहीं लाने चाहिए l
श्राद्ध के समय अक्रोध रहना, जल्दबाजी न करना और बड़े लोगों को या बहुत लोगों को श्राद्ध में सम्मिलित नहीं करना चाहिए, नहीं तो इधर-उधर ध्यान बंट जायेगा, तो जिनके प्रति श्राद्ध सद्भावना और सत उद्देश्य से जो श्राद्ध करना चाहिए, वो फिर दिखावे के उद्देश्य में सामान्य कर्म हो जाता है l
सफ़ेद सुगन्धित पुष्प श्राद्ध कर्म में काम में लाने चाहिए l लाल, काले फूलों का त्याग करना चाहिए l अति मादक गंध वाले फूल अथवा सुगंध हीन फूल श्राद्ध कर्म में काम में नहीं लाये जाते हैं l




आज का राशिफल


अपनी राशि के अनुसार जानिए क्या कहता है आपका राशिफल।

प्रत्येक राशि का राशिफल चंद्र ग्रह की गणना पर आधारित होता है। 

राशिफल को निकालते समय पंचांग की गणना और सटीक खगोलीय विवरण का विश्लेषण किया जाता है। वैदिक पूजन के द्वारा दैनिक राशिफल में बारह राशियों का भविष्यफल बताया जाता है। 
अब सुख दूर नहीं। समाधान आपके व्हाट्सप्प पर
यहाँ पर दिये गए राशिफल को पढ़कर आप अपनी रोजाना की योजनाओं को सफल बनाने में कामयाब हो सकते है । इस राशिफल में आपके लिए व्यापारलेन-देननौकरीपरिवारसेहत और मित्रों के साथ संबंध एवं दिन भर में होने वाली शुभ-अशुभ घटनाओं के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी जाती है।



मेष - पॉजिटिव- आज का दिन बहुत ही शांतिपूर्ण तरीके से व्यतीत होगा। संबंधों को और अधिक मजबूत करने और उन्हें खास महत्व देने में आपका महत्वपूर्ण योगदान रहेगा। युवा वर्ग अपने लक्ष्य के प्रति पूरी तरह एकाग्रचित्त रहेंगे। कोई रुका हुआ पैसा भी प्राप्त होने के योग बन रहे हैं।नेगेटिव- परंतु इस बात का भी अवश्य ध्यान रखें कि आप किसी साजिश या किसी प्रकार की गुप्त योजना के शिकार हो सकते हैं। उससे मुक्त होना भी मुश्किल होगा। नकारात्मक विचारों को अपने ऊपर हावी ना होने दें।
व्यवसाय- व्यवसाय क्षेत्र में कुछ रुकावटें आने की वजह से तनाव रहेगा। हालांकि आप समस्याओं का निवारण करने में सक्षम रहेंगे। सिर्फ आपको अपने क्रोध और अति आत्मविश्वास पर कंट्रोल करना आवश्यक है। नौकरी में भी अपने काम के प्रति लापरवाही करना उच्च अधिकारियों के साथ संबंध खराब कर सकता है।
लव- वैवाहिक जीवन सामान्य रहेगा। प्रेम संबंधों में चल रही गलतफहमिओं का निवारण होगा और संबंध पुनः मधुर हो जाएंगे।
स्वास्थ्य- गलत खानपान के कारण पेट खराब रह सकता है। संयमित आहार लें।
भाग्यशाली रंग- सफेद, भाग्यशाली अंक- 3

वृष - पॉजिटिव- अचानक कोई शुभ समाचार मिलने से अत्यधिक खुशी महसूस होगी। आर्थिक स्थिति में बेहतरीन सुधार होगा। लाभदायक यात्राओं के भी योग बनेंगे और उनके द्वारा उचित अवसर की प्राप्ति भी होगी। घर में किसी मांगलिक कार्य संबंधी योजनाएं भी बनेंगी।नेगेटिव- बच्चों की पढ़ाई को लेकर चिंता रहेगी। घर के वातावरण को अनुशासित बनाकर रखना आवश्यक है। पैसे संबंधी उधारी लेने या देने से परहेज करें क्योंकि नुकसान हो सकता है।
व्यवसाय- सबसे पहली बात तो यह ध्यान में रखना आवश्यक है कि व्यवसाय संबंधी अपनी गतिविधियों को सीक्रेट रखें। अन्यथा कोई अन्य व्यक्ति इसका दुरुपयोग करके आपको हानि पहुंचा सकता है। नौकरीपेशा व्यक्तियों को तरक्की या स्थान परिवर्तन संबंधी शुभ अवसर प्राप्त होंगे।
लव- पति-पत्नी व्यस्तता के कारण एक दूसरे को समय नहीं दे पाएंगे। परंतु घर के वातावरण को अनुशासित बनाकर रखने के लिए समय निकालना आवश्यक है।
स्वास्थ्य- शरीर के किसी हिस्से में सूजन आदि की समस्या रह सकती हैं। अपनी उचित जांच करवाएं।
भाग्यशाली रंग- हरा, भाग्यशाली अंक- 9

मिथुन - पॉजिटिव- आज की गई कड़ी मेहनत व प्रयत्न आपके लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक रहेंगे। बुजुर्गों का आशीर्वाद आपके जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है। परिवार की सुख-सुविधाओं के प्रति भी आपका पूरा योगदान रहेगा। काफी समय से कोई रुका हुआ पैसा मिलने की भी संभावना बन रही है।नेगेटिव- नजदीकी मित्रों व रिश्तेदारों के साथ संबंध मधुर बनाकर रखें क्योंकि किसी प्रकार की गलतफहमी उत्पन्न होने की आशंका लग रही है। अकारण ही मन में उदासी महसूस होगी। बच्चों को अधिक सुख सुविधाएं देने की अपेक्षा उन्हें संयमित जीवन व्यतीत करना सिखाने की आवश्यकता है।
व्यवसाय- कार्यक्षेत्र में क्वांटिटी की अपेक्षा क्वालिटी पर अधिक ध्यान दें क्योंकि इस गलती की वजह से कोई बड़ा ऑर्डर आपके हाथ से निकल सकता है या कोई डील भी कैंसिल हो सकती है। उचित गुणवत्ता के आधार पर आपको नए अनुबंध प्राप्त होंगे।
लव- दांपत्य जीवन में मधुरता रहेगी। परिवार जनों के साथ मनोरंजन में भी समय व्यतीत होगा।
स्वास्थ्य- यूं तो स्वास्थ्य ठीक रहेगा। सिर्फ अपने ब्लड प्रेशर संबंधी जांच करवाते रहें।
भाग्यशाली रंग- क्रीम, भाग्यशाली अंक- 6

कर्क - पॉजिटिव- आप अपने आत्मविश्वास और मनोबल के सहारे अपने किसी विशेष लक्ष्य को प्राप्त करने में समर्थ रहेंगे। किसी प्रभावशाली व्यक्ति से मुलाकात भी आपकी आर्थिक स्थिति को और अधिक बेहतर बनाएगी। मानसिक शांति बनी रहेगी।
नेगेटिव- पड़ोसी के साथ कलह व वाद-विवाद जैसी स्थिति बन रही है। इसलिए बेहतर रहेगा कि दूसरों के मामले में ना उलझे। बातचीत के अपने लहजे में थोड़ी नरमी लाना आवश्यक है। व्यर्थ के कार्यों में भी अधिक खर्चा होगा।
व्यवसाय- व्यापार में कोई नया एग्रीमेंट हो सकता है परंतु उसकी शर्तों का पूर्ण रूप से अध्ययन करना आवश्यक है। पार्टनरशिप संबंधी चल रहे विवादों का समाधान निकलेगा और संबंध दोबारा से मधुर बन जाएंगे।
लव- पति-पत्नी के बीच बच्चों की किसी समस्या को लेकर तनाव उत्पन्न हो सकता है। अतः कुछ समय परिवार के लिए भी निकालना अति आवश्यक है।
स्वास्थ्य- बढ़ते हुए वजन को व्यायाम व संयमित खानपान द्वारा नियंत्रित करने की आवश्यकता है।
भाग्यशाली रंग- ऑरेंज, भाग्यशाली अंक- 5

सिंह - पॉजिटिव- आर्थिक दृष्टि से आज का दिन उत्तम है। अपने नजदीकी परिजनों की परेशानियों में उनकी मदद करना आपको सुखद अनुभूति देगा। प्रॉपर्टी खरीदने संबंधी अगर कोई प्रोग्राम बन रहा है तो उस पर गंभीरता से विचार करें, समय उत्तम है।नेगेटिव- ध्यान रखें कि दूसरों के साथ किसी की आलोचना में अपना योगदान ना दें। आपकी मानहानि हो सकती है। विद्यार्थी अपने अध्ययन के प्रति और अधिक एकाग्रचित्त रहें। मामा पक्ष के साथ अपने संबंधों को मधुर बनाकर रखें।
व्यवसाय- कार्यक्षेत्र में कर्मचारियों की गतिविधियों पर पैनी नजर रखें। मामूली सी बात पर कोई इशू बन सकता है। नौकरीपेशा व्यक्तियों को किसी रुके हुए कार्य में अधिकारियों की मदद मिलने से समस्या हल हो जाएगी।
लव- जीवन साथी के स्वास्थ्य को लेकर कुछ चिंता रहेगी। परंतु घर के सभी सदस्यों का सहयोग घर की व्यवस्था बनाकर रखेगा।
स्वास्थ्य- नसों व हड्डियों में दर्द की वजह से टेंशन रहेगी।
भाग्यशाली रंग- हरा, भाग्यशाली अंक- 2

कन्या - पॉजिटिव- दैनिक दिनचर्या से ऊबकर आज ज्ञानवर्धक गतिविधियों में समय व्यतीत करेंगे। जिससे मानसिक शांति मिलेगी। दैनिक व रोजमर्रा के कार्य यथावत चलते रहेंगे। समय अच्छा है। अचानक ही आपके साथ कोई शुभ घटना घटित होगी।नेगेटिव- राजनीतिक गतिविधियों से दूरी बनाकर रखें। आप पर कोई इल्जाम या लांछन लग सकता है तथा किसी साजिश के शिकार भी हो सकते हैं। आपको भावनात्मक सपोर्ट की आवश्यकता होगी। अनजान व्यक्तियों के साथ किसी भी प्रकार का मेलजोल ना करें।
व्यवसाय- कार्यस्थल पर वातावरण शांतिपूर्ण रहेगा। अचानक से ही कोई बड़ा ऑर्डर मिलने से अत्यधिक लाभ प्राप्ति के योग बन रहे हैं। खासकर स्त्री वर्ग अपने व्यवसाय में अच्छा मुकाम हासिल करेंगे।
लव- जीवन साथी का घर के प्रति सहयोग और समर्पण भाव आपको चिंता मुक्त रखेगा। तथा घर का वातावरण भी खुशनुमा बना रहेगा।
स्वास्थ्य- स्वास्थ्य संबंधी कोई मौसमी परेशानी रह सकती हैं। अपनी दिनचर्या को व्यवस्थित रखें।
भाग्यशाली रंग- गुलाबी, भाग्यशाली अंक- 1

तुला - पॉजिटिव- समय आपके पक्ष में चल रहा है। आपकी योजनाओं को कार्य रूप प्राप्त होगा। समृद्धि व अप्रत्याशित लाभ के योग बने हुए हैं। सामाजिक गतिविधियों में भी आपका महत्वपूर्ण योगदान रहेगा। अपनी फिटनेस के लिए समय निकालना आपको स्वस्थ रखेगा।नेगेटिव- घर के बुजुर्गों के स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव रहेगा। उनका ध्यान रखना अति आवश्यक है। बच्चों की किसी समस्या को लेकर घर में तनाव उत्पन्न हो सकता है। परंतु परिजनों के आपसी सहयोग से स्थितियां जल्द ही ठीक हो जाएंगी।
व्यवसाय- व्यवसायिक गतिविधियां घर में रहकर ही क्रियान्वित होंगी। रचनात्मक व मीडिया से संबंधित व्यवसाय में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल होगी। सहयोगियों और कर्मचारियों पर विश्वास रखना उनके आत्मबल को बढ़ाएगा।
लव- आपकी मुश्किलों में जीवन साथी का पूर्ण सहयोग रहेगा। विवाह योग्य युवाओं के लिए कोई अच्छा रिश्ता आने की संभावना है।
स्वास्थ्य- स्वास्थ्य ठीक रहेगा। किसी प्रकार की भी चिंता ना करें।
भाग्यशाली रंग- लाल, भाग्यशाली अंक- 5

वृश्चिक - पॉजिटिव- कामकाज व परिवार के बीच बेहतर सामंजस्य बना रहेगा। ईश्वरीय शक्ति पर दृढ़ विश्वास रखने से आपको मानसिक शांति प्राप्त होगी। तथा कुछ नया सीखने की चाह में भी अपना समय व्यतीत करेंगे। घर में भी कोई धार्मिक आयोजन संबंधी योजना बन सकती है।नेगेटिव- वाणी और क्रोध पर नियंत्रण व काबू रखना अति आवश्यक है। क्योंकि इनकी वजह से तनाव इस कदर हावी हो सकता है कि बनते कामों मे रुकावटें आएंगी। अनावश्यक यात्राएं भी स्थगित रखना जरूरी है।
व्यवसाय- व्यापार व कारोबार में अचानक शुभ घटना घटित हो सकती है जिसकी आपने अपेक्षा भी न की होगी। कोई निवेश संबंधी महत्वपूर्ण ऑफर मिलेगा। सरकारी सेवारत व्यक्तियों का अपने कार्यालय में दबदबा बना रहेगा।
लव- पति-पत्नी अपनी-अपनी व्यस्तता के कारण एक दूसरे को समय नहीं दे पाएंगे। पुराने मित्र से मुलाकात बीती यादें ताजा करवाएगी।
स्वास्थ्य- गर्मी की वजह से पेट में जलन व एसिडिटी जैसी समस्या रहेगी। तरल पदार्थों का अधिक सेवन करें।
भाग्यशाली रंग- पीला, भाग्यशाली अंक- 6

धनु - पॉजिटिव- समय सर्व लाभकारी है। मेहमानों की आवाजाही रहेगी तो समय हंसी-खुशी व्यतीत होगा। आपकी आदर्शवादी तथा अच्छे-बुरे की समझ जैसा व्यवहार आपकी समाजिक छवि को और अधिक निखारेगा। घर की साज-सज्जा संबंधी कार्यों में भी ध्यान देंगे।
नेगेटिव- खर्चों की अधिकता रहेगी जिसका असर आपके बजट पर पड़ेगा। किसी नजदीकी व्यक्ति के साथ गलतफहमी की वजह से मतभेद उत्पन्न हो सकते हैं। समय रहते इनका समाधान कर लेंगे तो अच्छा रहेगा।
व्यवसाय- इंश्योरेंस व पॉलिसी से संबंधित व्यवसाय में लाभदायक स्थितियां रहेंगी। पार्टनरशिप संबंधी कार्य में आपके निर्णय सर्वोपरि व फायदेमंद रहेंगे। नौकरी पेशा व्यक्तियों की कोई उन्नति दायक यात्रा संपन्न हो सकती है।
लव- विवाहित जीवन में खुशहाली रहेगी। साथ ही विपरीत लिंगी मित्र से मुलाकात पुरानी यादें तरोताजा करेगी।
स्वास्थ्य- इंफेक्शन जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है। स्त्री वर्ग विशेष रूप से अपना ध्यान रखें।
भाग्यशाली रंग- आसमानी, भाग्यशाली अंक- 9

मकर - पॉजिटिव- समय प्रतिष्ठा वर्धक है। भाग्य आपके पक्ष में नई उपलब्धियां प्रदान कर रहा है। आप अपने वाक् चातुर्य से तमाम बाधाएं पार करके आगे बढ़ेंगे तथा विशेष व्यक्तियों से मुलाकात भी सार्थक रहेगी। आपकी कार्यशैली सराहनीय रहेगी।
नेगेटिव- कभी-कभी बहुत अधिक सोचने-विचारने में लाभजन्य स्थितियां हाथ से निकल सकती हैं। इसलिए योजनाओं के साथ-साथ उन को क्रियान्वित करने का भी प्रयत्न करें। किसी के व्यक्तिगत मामले में ज्यादा हस्तक्षेप ना करें इससे आपकी ही साख पर सवाल उठेंगे।
व्यवसाय- कार्यक्षेत्र में अधिक मेहनत करने की आवश्यकता है। प्रतिस्पर्धा की अधिकता के कारण तनाव रहेगा परंतु आप उसमें सफलता प्राप्त करने में सक्षम भी रहेंगे। इंटरनेट से जुड़े व्यवसाय में लाभदायक परिस्थितियां बन रही हैं।
लव- जीवनसाथी का आपके कार्यों के प्रति सहयोग रहेगा। जिससे आपको अपने तनाव से काफी हद तक राहत मिलेगी।
स्वास्थ्य- स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। सिर्फ अत्यधिक तनाव के कारणों से अपना बचाव करें।
भाग्यशाली रंग- नीला, भाग्यशाली अंक- 3

कुंभ - पॉजिटिव- घर के सभी सदस्य अपनी-अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाएंगे। जिसकी वजह से आप तनावमुक्त होकर अपनी रुचि संबंधी कार्यों में समय व्यतीत करेंगे। किसी रिश्तेदार के यहां मांगलिक समारोह में जाने का अवसर भी प्राप्त होगा।नेगेटिव- कुछ नकारात्मक स्थितियां भी उत्पन्न होंगी परंतु आप अपनी क्षमता से उन्हें हल करने में सक्षम भी रहेंगे। सिर्फ वाणी और क्रोध पर काबू बनाकर रखें अन्यथा बना बनाया काम बिगड़ सकता है। घर के किसी सदस्य के स्वास्थ्य को लेकर अस्पताल आदि के चक्कर भी लगेंगे।
व्यवसाय- कार्यक्षेत्र में सहकर्मी तथा सहयोगी पूरे मनोयोग से कार्यों को पूरा करेंगे। आप अपनी बुद्धिमता व चतुराई से कोई महत्वपूर्ण अनुबंध भी प्राप्त कर लेंगे। नौकरी में लक्ष्य की प्राप्ति अतिरिक्त प्रयासों द्वारा अवश्य ही संभव है।
लव- पति-पत्नी में अहम की वजह से कुछ तनाव उत्पन्न हो सकता है। एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना आपके संबंधों को मधुर बनाकर रखेगा।
स्वास्थ्य- जुखाम, खांसी की वजह से छाती में इंफेक्शन रहेगा। उचित इलाज लेना आवश्यक है।
भाग्यशाली रंग- केसरिया, भाग्यशाली अंक- 8

मीन - पॉजिटिव- संतान की उपलब्धियों को लेकर मन में सुकून तथा प्रसन्नता रहेगी। घर में बच्चे की किलकारी संबंधी शुभ सूचना मिलने से उत्साह भरा वातावरण रहेगा तथा नई वस्तुओं की खरीदारी भी संभव है। मित्रों के साथ मनोरंजन संबंधी पार्टी का आयोजन भी होगा।नेगेटिव- परंतु कुछ विरोधी आपके कार्य में व्यवधान उत्पन कर सकते हैं जिसकी वजह से विवाद के हालात भी बन सकते हैं। कभी-कभी विपरीत परिस्थितियां होने के कारण आपके स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ सकता है। जिसका असर आपके घर परिवार व बच्चों पर भी पड़ेगा। इसलिए अपने व्यवहार को संयमित बनाकर रखें।
व्यवसाय- कार्यक्षेत्र में आपको मेहनत के अनुरूप उचित परिणाम हासिल होंगे। आय में वृद्धि होगी। कमीशन तथा टैक्स संबंधी कार्यों से जुड़े व्यवसाय में फायदेमंद स्थितियां बनेंगी। नौकरीपेशा व्यक्तियों को अपनी इच्छा के अनुरूप कार्यों की प्राप्ति होगी।
लव- विवाहित जीवन सुखी व समृद्ध रहेगा। परंतु जीवन साथी के स्वास्थ्य का ध्यान रखना अति आवश्यक है।
स्वास्थ्य- स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। परंतु वर्तमान वातावरण में लापरवाही करना भी उचित नहीं है।
भाग्यशाली रंग- लाल, भाग्यशाली अंक- 8



जिनका आज जन्म दिन हैं उनको हार्दिक शुभकामनाएं




दिनांक 31 को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 4 होगा। इस अंक से प्रभावित व्यक्ति जिद्दी, कुशाग्र बुद्धि वाले, साहसी होते हैं। ऐसे व्यक्ति को जीवन में अनेक परिवर्तनों का सामना करना पड़ता है। जैसे तेज स्पीड से आती गाड़ी को अचानक ब्रेक लग जाए ऐसा उनका भाग्य होगा। लेकिन यह भी निश्चित है कि इस अंक वाले अधिकांश लोग कुलदीपक होते हैं।
आपका जीवन संघर्षशील होता है। इनमें अभिमान भी होता है। ये लोग दिल के कोमल होते हैं किन्तु बाहर से कठोर दिखाई पड़ते हैं। इनकी नेतृत्व क्षमता के लोग कायल होते हैं।

शुभ दिनांक : 4, 8, 13, 22, 26, 31,
शुभ अंक : 4, 8,18, 22, 45, 57,
शुभ वर्ष : 2021; 2031, 2040 2060,
ईष्टदेव : श्री गणेश, श्री हनुमान,
शुभ रंग : नीला, काला, भूरा,

भविष्यफल :
यह वर्ष पिछले वर्ष के दुष्प्रभावों को दूर करने में सक्षम है। आपको सजग रहकर कार्य करना होगा। विवाह के मामलों में आश्चर्यजनक परिणाम आ सकते हैं। परिवारिक मामलों में सहयोग के द्वारा सफलता मिलेगी।
मान-सम्मान में वृद्धि होगी, वहीं मित्र वर्ग का सहयोग मिलेगा। नवीन व्यापार की योजना प्रभावी होने तक गुप्त ही रखें। शत्रु पक्ष पर प्रभावपूर्ण सफलता मिलेगी। नौकरीपेशा प्रयास करें तो उन्नति के चांस भी है।



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30 Aug 2020

Jyotirling Darshan Aug-30-2020 Blessings4You

HAR HAR MAHADEV


Namah Shivay!


Jyotirlinga Darshan Blessings4You


Namah Shivay!
This Mantra is the nectar, water for our soul.
All worries disappear when we chant the maha-mantra Namah Shivay!
This is the only powerful Mantra that Maa Parvati chanted for connecting to Lord of Lords Mahadev.


आज दिनाँक 30-08-2020 को
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के
मंगला आरती के दर्शन।


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आज दिनाँक 30-08-2020 को
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के
दोपहर भोग आरती के दर्शन




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श्री सोमनाथ महादेव मंदिर,
प्रथम ज्योतिर्लिंग - गुजरात (सौराष्ट्र)
दिनांकः 30 अगस्त 2020, भाद्रपद शुक्ल द्वादशी - रविवार
प्रातः शृंगार


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श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में श्री ओंकार पार्वती के मध्यान्ह श्रृंगार दर्शनभाद्र. शुक्ल द्वादशी रविवार स.2077 (30/08/20)

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श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में
श्री ओंकार पार्वती के मध्यान्ह श्रृंगार दर्शन
भाद्र. शुक्ल एकादशी शनिवार स.2077 (29/08/20)



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श्री दक्षिणमुखी महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग जी का
आज का भस्म आरती श्रृंगार दर्शन।
भाद्रपद शुक्ल द्वादशी, विक्रम संवत २०७७
३० अगस्त २०२० (रविवार)


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जय शिव शम्भू


हर हर महादेव


जो बंधन में है, वह जीव है !
जो बंधन मुक्त है, वह शिव है !


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Krishna Loves You: The world is nothing but a combination of the five elements

They say that this world is unreal, without a basis, without a god. It is born of a mutual union, desire is its only cause, what else



|| जय श्री कृष्ण ||
॥ श्रीमद्‍भगवद्‍गीता ॥ 16.8

_असत्यमप्रतिष्ठं ते जगदाहुरनीश्वरम्‌ ।_
_
_अपरस्परसम्भूतं किमन्यत्कामहैतुकम्॥_


भावार्थ :आसुरी स्वभाव वाले मनुष्य कहते हैं कि जगत्‌ झूठा है इसका न तो कोई आधार है और न ही कोई ईश्वर है, यह संसार बिना किसी कारण के केवल स्त्री-पुरुष के संसर्ग से उत्पन्न हुआ है,
कामेच्छा के अतिरिक्त अन्य कोई कारण नही है। (८)


Meaning:

They say that this world is unreal, without a basis, without a god. It is born of a mutual union, desire is its only cause, what else.


Explanation:



Any philosophy, any world view has to answer some fundamental questions - who am I, what is the nature of this world, where did it come from, is there a god, and what is the relationship between the I, the world, and god. In the fifteenth chapter, Shri Krishna described his worldview by answering all these questions. Here, he proceeds to describe the materialistic worldview, the worldview of the asuras, those with devilish qualities.

At its core, the materialistic viewpoint views everything as comprised of the five elements, or in today’s times, atoms and molecules. So then, the answer to the questions, who am I, and what is the cause of this world, is the same. I am nothing but a combination of the five elements, and the world is also nothing but a combination of the five elements. Both are caused by the union of elements, either through chemical or biological reactions that happen due to forces of attraction, forces of desire.

Now, if the world is comprised of nothing but inert matter, one will conclude that there is no truth to it, no basis to it, nothing higher to it. A divide starts to arise between the I and the world. If the world is an inert, unreal entity, why should I treat it with care? Anything, including lying, cheating, and murder, is then justified. Materialists go one step further and assert that there is no governing principle in this world, no god. So I can get away with whatever I want because there is no law.

Chant the mantra you have faith in
Hare Krishna


Aaj Ka Panchang 30-8-2020, Samadhan, Rashifal, Birthday Blessings,

मंगलवार, 01 सितंबर को दस दिवसीय गणेशोत्सव का अंतिम दिन है। इस दिन की गई गणेश पूजा से घर में सुख-समृद्धि यानी रिद्धि और सिद्धि का प्रवेश होता है। गणेशजी की कृपा से सभी दुख दूर हो जाते हैं। 



Aaj 30-8-2020 Ka Panchang


आज का हिन्दू पंचांग




दिनांक 30 अगस्त 2020
दिन - रविवार
विक्रम संवत - 2077 (गुजरात - 2076)
शक संवत - 1942
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - शरद
मास - भाद्रपद
पक्ष - शुक्ल
तिथि - द्वादशी सुबह 08:21 तक तत्पश्चात त्रयोदशी
नक्षत्र - उत्तराषाढा दोपहर 01:52 तक तत्पश्चात श्रवण
योग - सौभाग्य दोपहर 01:59 तक तत्पश्चात शोभन
राहुकाल - शाम 05:09 से शाम 06:42 तक
सूर्योदय - 06:22
सूर्यास्त - 18:55
दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व विवरण - प्रदोष व्रत


विशेष - द्वादशी को पूतिका(पोई) अथवा त्रयोदशी को बैंगन नही खाना होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
रविवार के दिन ब्रह्मचर्य पालन करे तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)
रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)
स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।



यहां 01 सितंबर के लिए खास उपाय...

ऐसे करें गणेश पूजा
सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद गणेशजी की पूजा करें। पूजा में श्रीगणेश को सिंदूर, चंदन, जनेऊ, दूर्वा, लड्डू या गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगाएं। धूप व दीप लगाकर आरती करें। 
पूजन में इस मंत्र का जप करें-

मंत्र- प्रातर्नमामि चतुराननवन्द्यमानमिच्छानुकूलमखिलं च वरं ददानम्।
तं तुन्दिलं द्विरसनाधिपयज्ञसूत्रं पुत्रं विलासचतुरं शिवयो: शिवाय।।
प्रातर्भजाम्यभयदं खलु भक्तशोकदावानलं गणविभुं वरकुञ्जरास्यम्।
अज्ञानकाननविनाशनहव्यवाहमुत्साहवर्धनमहं सुतमीश्वरस्य।।

इस मंत्र का अर्थ यह है कि मैं ऐसे देवता का पूजन करता हूं, जिनकी पूजा स्वयं ब्रह्मदेव करते हैं। ऐसे देवता, जो मनोरथ सिद्धि करने वाले हैं, भय दूर करने वाले हैं, शोक का नाश करने वाले हैं, गुणों के नायक हैं, गजमुख हैं, अज्ञान का नाश करने वाले हैं। मैं शिव पुत्र श्री गणेश का सुख-सफलता की कामना से भजन, पूजन और स्मरण करता हूं।

लक्ष्मी-विनायक मंत्र का जप करें


दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।
श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरदे सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।।
यदि आप लक्ष्मी कृपा चाहते हैं तो पूजा में इस लक्ष्मी-विनायक मंत्र का जप कम से कम 108 बार करें। मंत्र जप के लिए कमल के गट्‌टे की माला का उपयोग करना चाहिए।
ध्यान रखें मंत्र का जप सही उच्चारण के साथ करना चाहिए।
यदि आप इस मंत्र का जप नहीं कर पा रहे हैं तो इन सरल मंत्रों का जप कर सकते हैं।
श्रीगणेश मंत्र- ॐ महोदराय नम:। ॐ विनायकाय नम:।
महालक्ष्मी मंत्र- ॐ महालक्ष्म्यै नम:। ॐ दिव्याये नम:

अनंत चतुर्दशी


01 सितम्बर 2020 मंगलवार को अंनत चतुर्दशी है ।
भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी को अनन्त चतुर्दशी कहा जाता है। इस दिन अनन्त भगवान की पूजा करके संकटों से रक्षा करने वाला अनन्तसूत्र बांधा जाता है।
कहा जाता है कि जब पाण्डव जुएं में अपना सारा राज-पाट हारकर वन में कष्ट भोग रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनन्तचतुर्दशी का व्रत करने की सलाह दी थी। धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने भाइयों तथा द्रौपदी के साथ पूरे विधि-विधान से यह व्रत किया तथा अनन्तसूत्रधारण किया। अनन्तचतुर्दशी-व्रत के प्रभाव से पाण्डव सब संकटों से मुक्त हो गए।
व्रत-विधान-व्रतकर्ता प्रात:स्नान करके व्रत का संकल्प करें। शास्त्रों में यद्यपि व्रत का संकल्प एवं पूजन किसी पवित्र नदी या सरोवर के तट पर करने का विधान है, तथापि ऐसा संभव न हो सकने की स्थिति में घर में पूजागृह की स्वच्छ भूमि पर कलश स्थापित करें। कलश पर शेषनाग की शैय्यापर लेटे भगवान विष्णु की मूर्ति अथवा चित्र को रखें। उनके समक्ष चौदह ग्रंथियों (गांठों) से युक्त अनन्तसूत्र (डोरा) रखें। इसके बाद “ॐ अनन्तायनम:” मंत्र से भगवान विष्णु तथा अनंतसूत्र की षोडशोपचार-विधिसे पूजा करें। पूजनोपरांत अनन्तसूत्र को मंत्र पढकर पुरुष अपने दाहिने हाथ और स्त्री बाएं हाथ में बांध लें-

अनंन्तसागर महासमुद्रे मग्नान्समभ्युद्धर वासुदेव।
अनंतरूपे विनियोजितात्माह्यनन्तरूपाय नमो नमस्ते॥

अनंतसूत्र बांध लेने के पश्चात किसी ब्राह्मण को नैवेद्य (भोग) में निवेदित पकवान देकर स्वयं सपरिवार प्रसाद ग्रहण करें। पूजा के बाद व्रत-कथा को पढें या सुनें। कथा का सार-संक्षेप यह है- सत्ययुग में सुमन्तु नाम के एक मुनि थे। उनकी पुत्री शीला अपने नाम के अनुरूप अत्यंत सुशील थी। सुमन्तु मुनि ने उस कन्या का विवाह कौण्डिन्यमुनि से किया। कौण्डिन्यमुनि अपनी पत्नी शीला को लेकर जब ससुराल से घर वापस लौट रहे थे, तब रास्ते में नदी के किनारे कुछ स्त्रियां अनन्त भगवान की पूजा करते दिखाई पडीं। शीला ने अनन्त-व्रत का माहात्म्य जानकर उन स्त्रियों के साथ अनंत भगवान का पूजन करके अनन्तसूत्र बांध लिया। इसके फलस्वरूप थोडे ही दिनों में उसका घर धन-धान्य से पूर्ण हो गया।

कथा


एक दिन कौण्डिन्य मुनि की दृष्टि अपनी पत्नी के बाएं हाथ में बंधे अनन्तसूत्र पर पडी, जिसे देखकर वह भ्रमित हो गए और उन्होंने पूछा-क्या तुमने मुझे वश में करने के लिए यह सूत्र बांधा है? शीला ने विनम्रतापूर्वक उत्तर दिया-जी नहीं, यह अनंत भगवान का पवित्र सूत्र है। परंतु ऐश्वर्य के मद में अंधे हो चुके कौण्डिन्यने अपनी पत्नी की सही बात को भी गलत समझा और अनन्तसूत्रको जादू-मंतर वाला वशीकरण करने का डोरा समझकर तोड दिया तथा उसे आग में डालकर जला दिया। इस जघन्य कर्म का परिणाम भी शीघ्र ही सामने आ गया। उनकी सारी संपत्ति नष्ट हो गई। दीन-हीन स्थिति में जीवन-यापन करने में विवश हो जाने पर कौण्डिन्यऋषि ने अपने अपराध का प्रायश्चित करने का निर्णय लिया। वे अनन्त भगवान से क्षमा मांगने हेतु वन में चले गए। उन्हें रास्ते में जो मिलता वे उससे अनन्तदेवका पता पूछते जाते थे। बहुत खोजने पर भी कौण्डिन्यमुनि को जब अनन्त भगवान का साक्षात्कार नहीं हुआ, तब वे निराश होकर प्राण त्यागने को उद्यत हुए। तभी एक वृद्ध ब्राह्मण ने आकर उन्हें आत्महत्या करने से रोक दिया और एक गुफामें ले जाकर चतुर्भुज अनन्तदेव का दर्शन कराया।
भगवान ने मुनि से कहा-तुमने जो अनन्तसूत्र का तिरस्कार किया है, यह सब उसी का फल है। इसके प्रायश्चित हेतु तुम चौदह वर्ष तक निरंतर अनन्त-व्रत का पालन करो। इस व्रत का अनुष्ठान पूरा हो जाने पर तुम्हारी नष्ट हुई सम्पत्ति तुम्हें पुन:प्राप्त हो जाएगी और तुम पूर्ववत् सुखी-समृद्ध हो जाओगे। कौण्डिन्यमुनि ने इस आज्ञा को सहर्ष स्वीकार कर लिया। भगवान ने आगे कहा-जीव अपने पूर्ववत् दुष्कर्मो का फल ही दुर्गति के रूप में भोगता है।मनुष्य जन्म-जन्मांतर के पातकों के कारण अनेक कष्ट पाता है। अनन्त-व्रत के सविधि पालन से पाप नष्ट होते हैं तथा सुख-शांति प्राप्त होती है। कौण्डिन्यमुनि ने चौदह वर्ष तक अनन्त-व्रत का नियमपूर्वक पालन करके खोई हुई समृद्धि को पुन:प्राप्त कर लिया।
हर वर्ष पूर्वजों को तर्पण और उनके प्रति श्रद्धा भाव व्यक्त करने लिए हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद पूर्णिमा तिथि से लेकर आश्विन माह की सर्वपितृ अमावस्या तक का समय पितृपक्ष कहलाता है। पूर्वजों को श्रद्धासुमन अर्पित करने का यह महापर्व आरंभ होने जा रहा है। पितृपक्ष के दौरान हमारे पूर्वज पितरलोक से धरती पर अपने प्रियजनों के पास आते हैं। ऐसे में पितृ पक्ष पर उनके प्रति सम्मान और आदरभाव दिखाने के लिए उन्हें तर्पण दिया जाता है। मान्यता है कि पितृपक्ष पर श्राद्ध कर्म करने पर पितृदोषों से मुक्ति मिल जाती है। पितृपक्ष में जब पितरदेव धरती पर आते हैं उन्हें प्रसन्न कर फिर से पितरलोक में विदा किया जाता है। 

ऐसे में पितृपक्ष के दौरान कुछ विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए।


1- श्राद्ध पक्ष में अगर कोई भोजन पानी मांगने आए तो उसे खाली हाथ नहीं जाने दें। मान्यता है कि पितर किसी भी रूप में अपने परिजनों के बीच में आते हैं और उनसे अन्न पानी की चाहत रखते हैं।
2- गाय, कुत्ता, बिल्ली, कौआ इन्हें श्राद्ध पक्ष में मारना नहीं चाहिए, बल्कि इन्हें खाना देना चाहिए।
3- मांसाहारी भोजन जैसे मांस, मछली, अंडा के सेवन से परहेज करना चाहिए। शराब और नशीली चीजों से बचें।
4- परिवार में आपसी कलह से बचें। ब्रह्मचर्य का पालन करें, इन दिनों स्त्री पुरुष संबंध से बचना चाहिए।
5- नाखून, बाल एवं दाढ़ी मूंछ नहीं बनाना चाहिए या अति जरूरी हो तो बनाना चाइये। क्योंकि श्राद्ध पक्ष पितरों को याद करने का समय होता है। यह एक तरह से शोक व्यक्त करने का तरीका है।
6- पितृपक्ष के दौरान जो भी भोजन बनाएं उसमें से एक हिस्सा पितरों के नाम से निकालकर गाय या कुत्ते को खिला दें।
7- भौतिक सुख के साधन जैसे स्वर्ण आभूषण, नए वस्त्र, वाहन इन दिनों खरीदना अच्छा नहीं माना गया है, क्योंकि यह शोक काल होता है।
8 - पितृपक्ष के दौरान किसी भी परिस्थिति में झूठ न बोले और कटु वचन से किसी को दुख पहुंचाएं।
9 - पितृपक्ष के दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखें कि घर का कोई भी कोना अंधेरे में न रहे।
10- पितृपक्ष में कुल की मर्यादा के विरुद्ध कोई आचरण न करें।

पूर्णिमा का श्राद्ध

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार किसी व्यक्ति की मृत्यु पूर्णिमा को हो तो उसका श्राद्ध भाद्र शुक्ल पूर्णिमा को करना चाहिए। इसमें दादा-दादी, परदादी और नाना-नानी का श्राद्ध करना चाहिए।

भरणी का श्राद्ध

चतुर्थी तिथि पर भरणी नक्षत्र होने के कारण भरणी का श्राद्ध कहा जाता है। भरणी नक्षत्र में पितरों का पार्वण श्राद्ध करने का विशेष महत्व है। नवमी तिथि को सौभाग्यवती स्त्रियों का श्राद्ध किया जाता है।

संन्यासियों का श्राद्ध

संन्यासियों का श्राद्ध पार्वण पद्धति से द्वादशी में किया जाता है। भले ही इनकी मृत्यु तिथि कोई भी क्यों न हो।

मघा का श्राद्ध

मघा नक्षत्र होने के कारण मघा का श्राद्ध होता है। जिनकी जन्मकुंडली में पितृदोष के कारण घर परिवार में और पति पत्नी में क्लेश अशांति हो तो वह शांत हो जाता है। घर में सुख शांति रहती है।

अकाल मृत्यु वालों का श्राद्ध

वाहन दुर्घटना, सांप के काटने से, जहर के खाने से अकाल मृत्यु के कारण जिसकी मृत्यु हुई हो उसका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि में करना चाहिए। चतुर्दशी तिथि में मरने वालों का श्राद्ध चतुर्दशी में नहीं करना चाहिए। किसी व्यक्ति की मृत्यु पूर्णिमा को हो तो उसका श्राद्ध भाद्र शुक्ल पूर्णिमा को करना चाहिए। इसमें दादा-दादी, परदादी और नाना-नानी का श्राद्ध करना चाहिए

आज का राशिफल


अपनी राशि के अनुसार जानिए क्या कहता है आपका राशिफल।


प्रत्येक राशि का राशिफल चंद्र ग्रह की गणना पर आधारित होता है। राशिफल को निकालते समय पंचांग की गणना और सटीक खगोलीय विवरण का विश्लेषण किया जाता है। वैदिक पूजन के द्वारा दैनिक राशिफल में बारह राशियों का भविष्यफल बताया जाता है। यहाँ पर दिये गए राशिफल को पढ़कर आप अपनी रोजाना की योजनाओं को सफल बनाने में कामयाब हो सकते है । इस राशिफल में आपके लिए व्यापार, लेन-देन, नौकरी, परिवार, सेहत और मित्रों के साथ संबंध एवं दिन भर में होने वाली शुभ-अशुभ घटनाओं के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी जाती है।


आज का राशिफल


अपनी राशि के अनुसार जानिए क्या कहता है आपका राशिफल।

प्रत्येक राशि का राशिफल चंद्र ग्रह की गणना पर आधारित होता है। 

राशिफल को निकालते समय पंचांग की गणना और सटीक खगोलीय विवरण का विश्लेषण किया जाता है। वैदिक पूजन के द्वारा दैनिक राशिफल में बारह राशियों का भविष्यफल बताया जाता है। 
अब सुख दूर नहीं। समाधान आपके व्हाट्सप्प पर
यहाँ पर दिये गए राशिफल को पढ़कर आप अपनी रोजाना की योजनाओं को सफल बनाने में कामयाब हो सकते है । इस राशिफल में आपके लिए व्यापारलेन-देननौकरीपरिवारसेहत और मित्रों के साथ संबंध एवं दिन भर में होने वाली शुभ-अशुभ घटनाओं के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी जाती है।


मेष -

आज अपना काम में फोकस बनाए रखें और अपना काम ईमानदारी से करते रहें, आपको किसी की बात से विचलित होने की आवश्यकता नहीं है। यदि किसी की बात या नियत पर शक हो तो अपने अंतर्मन की आवाज़ अवश्य सुनें और उस कर अमल करें। अपनी सोच पर नियंत्रण रखें। परिस्थिति का समय के साथ हल मिल जाएगा, जितना उसके लिए परेशान होंगे उतना ही अपने लिए बाधाएं उत्पन्न करेंगे।
करियर - किसी की बातों से बहुत प्रभावित न हों। यदि किसी की बात या नियत पर शक हो तो अपने अंतर्मन की आवाज़ अवश्य सुनें और उस पर अमल करें।
प्रियजनों के साथ किसी बात को लेकर अनबन हो सकती है जिसके चलते रिश्तों में कटुता आ सकती है। अपनी बात खुल कर कहने का प्रयास करें।
हेल्थ - यदि किसी रोग से जूझ रहे हैं तो एक सेकंड ओपिनियन किसी दूसरे डॉक्टर से लें। लाभ होगा।

वृषभ -

आज का काम आपके लिए अपनी क्षमता और योग्यता की परीक्षा वाला हो सकता है। आप खुद को आजमाना चाहेंगे। आपको कुछ कामों में देरी का सामना करना पड़ सकता है, या कुछ काम थोड़े समय के लिए अटक सकते हैं। आपको थोड़ा धैर्य के साथ काम लेना होगा। आपके परिजन और प्रियजन आप पर पूरा भरोसा जताएंगे। आपको अपनी क्षमताओं पर भरोसा रखना होगा। परिस्थितियां आपके पक्ष में बनेंगी।
करियर - काम में देरी हो सकती है। कार्यालय के लोग आपको निराश कर सकते हैं, शांत और सामान्य रहें।
- प्रोफेशनल कामों में भी आपको जीवनसाथी का बेहतर सहयोग मिल सकता है।
हेल्थ - दांत या दाढ़ का दर्द आज आपको परेशान कर सकता है।

मिथुन -

आज का दिन आपके लिए दुनिया से जुड़ने का है। आप उन लोगों से मिल सकते हैं या बात कर सकते हैं जो किन्हीं दूर स्थानों पर बसे हैं। आपके सामने कोई बहुत ही शानदार प्रस्ताव आ सकते हैं। ये समय है अपनी क्षमताओं पर गहराई से विचार करने और नई संभावनाओं के लिए अपने आपको अपडेट करने का। आपको अपनी बातचीत में काफी स्पष्ट तरीके से अपना पक्ष रखना होगा।
करियर - काम पर नए देश में जाने की संभावनाएं हैं। अपनी नौकरी में अच्छा करने के लिए अपने कौशल को अपग्रेड करें।
आपके साथी के साथ गलतफहमी हो सकती है, अपने संवाद स्पष्ट रखें।
हेल्थ - गर्दन का दर्द आपके लिए परेशानी का कारण हो सकता है।

कर्क -

आज का दिन आपके लिए मिलजुल कर काम करने और सफलता पाने का रह सकता है। आपको कुछ मामलों में अपने लोगों की सलाह की आवश्यकता पड़ सकती है। आपको मित्रों से सहयोग मिलेगा और आप उन पर कुछ चीजों के लिए निर्भर रह सकते हैं। अपने लोगों की बात ध्यान से सुनें और सोच-समझकर ही किसी बात पर फैसला करें। आपके कुछ निर्णय आपके भविष्य के लिए मील का पत्थर साबित हो सकते हैं।
करियर - दोस्त आपके लिए मार्गदर्शन के लिए आ सकते हैं। अच्छे फैसले लेने की आपकी क्षमता आपको करियर में आगे बढ़ने में मदद करती है।
- आज आपको अपने साथी की बात को गंभीरता से सुनना और समझना होगा।
हेल्थ - आज मांसपेशियों में खिंचाव या दर्द से आपको समस्या हो सकती है।

सिंह -

आज का दिन आपके लिए आर्थिक हानि की ओर इशारा कर रहा है। धन संबंधी मामलों में कोई भी फैसला लेने से पहले आपको काफी सोच-विचार करना होगा। आपको उधार पैसा लेने और देने दोनों ही मामलों में बचना पड़ेगा। अगर आप वित्तीय मामलों में लापरवाही रखेंगे तो संभव है कि आपको काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है, साथ ही कुछ लोगों से आपके संबंध भी खराब हो सकते हैं। इस कारण थोड़ा सावधान रहें।
करियर - वित्त की स्थिति अच्छी रहेगी। दोस्तों को पैसे उधार देने का अच्छा समय नहीं है, क्योंकि आप इसे वापस पाने में सक्षम नहीं हो सकते हैं।
अपने साथी को कुछ ऐसा उपहार दें जो उन्हें पसंद हो, वे इस रिश्ते को काम करने के लिए आपके द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना करते हैं।
हेल्थ - माइग्रेन या सिरदर्द की समस्या आपको परेशान कर सकती है।

कन्या -

आज का दिन आपके लिए बहुत ही रचनात्मक हो सकता है। आपके साथी आपकी समस्या सुलझाने के कौशल की तारीफ करेंगे। आपके समस्याओं के साथ डील करने का तरीका काफी प्रशंसनीय हो सकता है। आपको अपने ईगो से बचना होगा। कुछ समय खुद के लिए निकाल कर वो काम करें जो आपको मानसिक शांति और प्रोत्साहन देता है। अपने शौक को जिंदा रखने के लिए यह एक आवश्यक कदम है।
करियर - आपका उत्साह और रचनात्मकता आपको प्रगति करने में मदद कर सकती है।
- अपने साथी के साथ पेंटिंग या बागवानी जैसी मजेदार गतिविधि आपको एक दूसरे को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगी।
हेल्थ - बाहर खाने से बचें, आपको फूड पॉइज़निंग के आशंका हो सकती है।

तुला -

आज आप काफी व्यस्त रहेंगे। समय की कमी के कारण आपको कुछ काम टालने भी पड़ सकते हैं और एक समय में कई काम करने पड़ सकते हैं, या एक काम खत्म होते ही आपको कोई और काम मिल सकता है। अपने आपको इस परिस्थिति के लिए मानसिक रुप से तैयार रखें। आपके पार्टनर्स या बॉस आपके काम के तरीकों से काफी संतुष्ट और प्रसन्न रहेंगे। ये आपके अच्छे भविष्य के लिए बेहतर संकेत है।
करियर- आपके वरिष्ठों में आपकी की बहुत मांग रहेगी। आपके पास अपने कार्यों को पूरा करने के लिए सही कौशल है, इसका उपयोग करें।
- आप अपने साथी से चिड़चिड़े लगते हैं, शांत रहें। आपका साथी आपकी हर बात सुनेगा
हेल्थ - अपने काम को अधिक मात्रा में न करें, आपको कमर या पीठ में समस्या हो सकती है।

वृश्चिक -

आज का दिन आपके कुछ अफरा-तफरी भरा रह सकता है। आपको कामों को सही अंजाम तक पहुंचाने के लिए कुछ अतिरिक्त भागदौड़ करनी पड़ सकती है। कुछ जरूरी कामों के लिए आपको काफी ट्रेवलिंग करनी पड़ सकती है। अपने आप को इसके लिए तैयार रखें। कुछ कामों के लिए आपके मित्र और साथी आप पर आश्रित हो सकते हैं। किसी मामले में आपको संतोष का भाव दिखाना पड़ सकता है। इसके लिए तैयार रहें।
करियर - काम से लिए पर यात्रा की संभावना है। आपकी टीम आपकी ओर देखती है, क्योंकि आपका काम के प्रति बहुत अच्छा रवैया है।
आपका साथी हाथ से लिखे नोट्स और अक्षरों जैसी छोटी चीजों की सराहना करता है। वही करें जो उन्हें खुश करे।
हेल्थ - आपकी मांसपेशियों के साथ समस्या हो सकती है।

धनु -

आज का दिन आपके लिए परिस्थितियों को काफी परिपक्वता के साथ संभालने का है। किसी मामले में आप अपेक्षा के विपरीत काफी कम समय में बेहतर परिणाम हासिल कर सकते हैं, इससे आपको काफी प्रशंसा मिलेगी। आज आपकी प्रोडक्टिविटी काफी हाई रहेगी, जिसका फायदा आपको जॉब और बिजनेस दोनों में मिल सकता है। अपने आप को पूरी तरह सकारात्मक रखें और अपने टारगेट पर फोकस रहें।
करियर - आपके बॉस आपके ज्ञान और चीजों को जल्द पूरा करने की क्षमता की सराहना करते हैं। अधिक सुसंगत होकर अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखें।
अपने साथी के साथ किसी समय अच्छा गुजरेगा है। अविवाहितों के लिए भी समय अच्छा रहने वाला है।
हेल्थ - आंख का संक्रमण आपकी समस्या बढ़ा सकता है।

मकर –

आज का दिन आपके लिए कुछ जिम्मेदारियों के साथ शुरुआत वाला हो सकता है। आपके लिए कुछ मामलों में बहुत धैर्य रखना पड़ सकता है। कुछ कामों में विलंब होने से आप परेशान हो सकते हैं या गुस्सा कर सकते हैं। इससे बचने की कोशिश करें। आपको अपने टारगेट पर फोकस करना होगा। इसके लिए छोटी-छोटी गलतियों को सुधारते हुए आगे बढ़ने का दिन है। अपने लोगों से खुलकर बात करें और उन्हें प्रोत्साहित करें।
करियर - आज आपका दिन ऑफिस में नहीं हो सकता, क्योंकि काम में देरी हो रही है। सकारात्मक रहें, आपके लक्ष्य प्राप्त होंगे।
आप अपने साथी के साथ बहुत अच्छी समझ रखते हैं। उनके साथ अपनी रूचि साझा करें।
हेल्थ - बालों का गिरना आपको चिंतित कर सकता है।

कुंभ -

आज का दिन आपके लिए कुछ निराशा से भरा हो सकता है। चीजें आपके नियंत्रण में नहीं रहेंगी। कुछ लोगों द्वारा आपको चुनौती भी मिल सकती है। आपके कुछ प्रस्ताव अस्वीकृत हो सकते हैं। आपको अपने टारगेट को पाने के लिए काफी पॉजिटिव एटिट्यूड रखना होगा। आपको अपने मूड को थोड़ा लाइट रखने के लिए अपने प्रियजनों के साथ कुछ समय गुजारना चाहिए, इससे आपको मानसिक शक्ति और सकारात्मका का आभास होगा।
करियर - करियर में आप निराश रह सकते हैं। सकारात्मक रहें, परिस्थितियां जल्दी ही आपके अनुकूल होंगी।
आज आपका समय जीवनसाथी के साथ काफी अच्छा गुजरेगा। प्रेमियों के लिए भी दिन काफी अच्छा है।
हेल्थ - अपने प्रोटीन का सेवन बढ़ाएं, क्योंकि आप ज्यादातर समय थकान महसूस करते हैं।

मीन –

आज का दिन आपके कामों में कुछ रुकावट और परेशानियों वाला हो सकता है। आपके काम करने के तरीकों की लोग तारीफ करेंगे लेकिन कुछ प्रतिद्वंद्वी आपके कामों पर आपत्ति भी ले सकते हैं। आपको काफी सारा समय दफ्तर या बिजनेस से जुड़े कुछ मुद्दों को सुलझाने के लिए देना पड़ सकता है। आपकी कार्यक्षमताओं की सराहना होगी। आपको कुछ पुरानी बातों को भूलकर आगे बढ़ने की सलाह कार्ड्स दे रहे हैं।
करियर - आज आपको बैठकों में व्यस्त रहना पड़ सकता है। आपके प्रस्तुति कौशल को आपके वरिष्ठों द्वारा सराहा जाता है।
अतीत से आगे बढ़ें, किसी नए व्यक्ति से मिलने की संभावना है जो आपके साथ अच्छा हो और आपसे प्यार करता हो।
हेल्थ - आज आपको ज्यादा से ज्यादा लिक्विड डाइट पर रहना होगा




जिनका आज जन्मदिन है उनको हार्दिक शुभकामनाएं





अंक ज्योतिष के अनुसार आपका मूलांक तीन आता है। यह बृहस्पति का प्रतिनिधि अंक है। ऐसे व्यक्ति निष्कपट, दयालु एवं उच्च तार्किक क्षमता वाले होते हैं। अनुशासनप्रिय होने के कारण कभी-कभी आप तानाशाह भी बन जाते हैं। आप दार्शनिक स्वभाव के होने के बावजूद एक विशेष प्रकार की स्फूर्ति रखते हैं। आपकी शिक्षा के क्षेत्र में पकड़ मजबूत होगी। आप एक सामाजिक प्राणी हैं। आप सदैव परिपूर्णता या कहें कि परफेक्शन की तलाश में रहते हैं यही वजह है कि अकसर अव्यवस्थाओं के कारण तनाव में रहते हैं।

शुभ दिनांक : 3, 12, 21, 30
शुभ अंक : 1, 3, 6, 7, 9,
शुभ वर्ष : 2028, 2030, 2031, 2034, 2043, 2049, 2052,
ईष्टदेव : देवी सरस्वती, देवगुरु बृहस्पति, भगवान विष्णु
शुभ रंग : पीला, सुनहरा और गुलाबी

कैसा रहेगा यह वर्ष
आपके लिए यह वर्ष सुखद है। किसी विशेष परीक्षा में सफलता मिल सकती है। नौकरीपेशा के लिए प्रतिभा के बल पर उत्तम सफलता का है। नवीन व्यापार की योजना भी बन सकती है। दांपत्य जीवन में सुखद स्थिति रहेगी। घर या परिवार में शुभ कार्य होंगे। महत्वपूर्ण कार्य से यात्रा के योग भी है। मित्र वर्ग का सहयोग सुखद रहेगा। शत्रु वर्ग प्रभावहीन होंगे।


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