27 Jan 2020

Sabar Rogmukti Sadhna for Wellness

शाबर रोगमुक्ती साधना
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मित्रों जो मैं मंत्र दे रहा हूं यह मंत्र फेसबुक पर अशुद्ध रूप में उपलब्ध है परंतु यहां पर यह पूर्ण रूप से शुद्ध मंत्र है।

इन शाबर मंत्रो से समस्त प्रकार की रोग-पीड़ा हमेशा के लिये दुर हो जाती है। यहा तक की इस मंत्र से कैन्सर, टी.बी. , जोडो का दर्द,वात-पित्त,शुगर जैसे गंभीर रोग भी ठीक हो जाते है और बाकी छोटी-छोटी बीमारिया स्वयं जल्दी ठीक होती है।

मंत्र:-

ll ओम नमो केतकी ज्वालामुखी काली,दो वर-रोग पीडा दूर कर,सात समुद्र पार कर,आदेश कामरू देश कामाख्या माई,हाडी दासी चंडी की दुहाई ll

विधि-विधान:-
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यह अत्यंत शक्तिशाली लेकिन बहुत सरल शाबर मंत्र है ।
सर्वप्रथम किसी लकडे के बाजोट पर लाल वस्त्र स्थापित करे और उस पर महाकाली जी का चित्र रखीये। गुरू जी गणेश जी का पुजन करे।  माँ का सामान्य पुजन करे। कृपया ध्यान दें जिनके गुरु नहीं है या जिन्होंने गुरु धारण नहीं की है वह गणेश जी की पूजा के पश्चात एक माला ओम नमः शिवाय की जरूर करें। उसके बाद अगर हो सके तो 11 बार गायत्री मंत्र जरूर पढ़ें।

यह साधना मंगलवार, शुक्रवार, अमावस्या की रात, किसी भी शुभ दिन जैसे होली दीपावली रामनवमी हनुमान जयंती भैरव जयंती से या किसी भी नवरात्री से प्रारंभ करे। यह साधना 11 दिन की है जिसमे 10 दिन 10 माला जाप पंचमुखी रुद्राक्ष माला से करना है और 11 वे दिन इस मंत्र से हवन करना है घी की 108 आहुती हवन मे देनी  है।
आसन-वस्त्र लाल रंग के हो और उत्तर ,पूर्व या उत्तर पूर्व दिशा साधना हेतु उत्तम है। रुद्राक्ष की पंचमुखी माला जप के लिए इस्तेमाल करनी है। माथे पर रोली का टीका हाथ में कलावा अवश्य बांधे।

मन्त्र सिद्धि का तरीका
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निचे लिखा मन्त्र पढ़कर चारो ओर रेखा खिचनेसे कोई क्षुद्र देव देवता उपद्रव नही कर सकते।

ॐ ईईकली पुरूसिद्धेश्वरी अवतर अवतर स्वाहा। ॐ दशाअंगुली भिन्द्ली वीरूडूहारी भैरण्ड भैरवी विद्याराणी रोंलाबंध, मुष्टिबंध,  बाणबंध, कृत्यबंध , रुद्र्बंध, नेखबंध , प्रेतबंध,  भुतबंध, यक्षबंध, कंकालबंध, वेतालबंध, आकाशबंध , पूर्व उत्तर दक्षिण पच्छिम सर्व दिशा बंध । ये और आछी कह हस हस अवतर अवतर अवतर दशाविप्राराणी दशागुली शतास्त्र बंधीनि बन्दासि हू फट्  स्वाहा ।

अब मन्त्र पढ़कर चारो चारो ओर आसन के रेखा खिचे।।
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1👉 मंत्र प्रयोग विधि

सर्वप्रथम आसन बन्धन जरुरी है
आचमन और पवित्रीकरण करके अपने इष्ट मन्त्र से प्राणायाम करे।

ॐ गणेशाय नमः   का 21 बार जप (सुरक्षा, पुजा शुभ एवं समपुर्ण होने की कामना करें।)

ॐ नम: शिवाय:    का 21 बार जप (सुरक्षा, पुजा शुभ एवं समपुर्ण होने की कामना करें।)

शिव गायत्री मंत्र :
"ॐ तत्पुरुषाय विद्‍महे, महादेवाय धीमहि तन्नोरुद्र: प्रचोदयात्।" (11 बार जप )

ॐ हं हनुमतः नमः  11 बार जाप करें।

ॐ भुजंगेशाय विद्महे, सर्पराजाय धीमहि, तन्नो नाग: प्रचोदयात्।।  (11 बार जप )
 
निम्न मंत्र का एक बार जप ----
'सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले।
ये च हेलिमरीचिस्था येन्तरे दिवि संस्थिता:।। 
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:। 
ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।' 
 
अर्थात् - संपूर्ण आकाश, पृथ्वी, स्वर्ग, सरोवर-तालाबों, नल-कूप, सूर्य किरणें आदि जहां-जहां भी नाग देवता विराजमान है। वे सभी हमारे दुखों को दूर करके हमें सुख-शांतिपूर्वक जीवन दें। उन सभी को हमारी ओर से बारम्बार प्रणाम हो...।  

“वज्र-क्रोधाय महा-दन्ताय दश - दिशो बन्ध बन्ध, हूं फट् स्वाहा ” 11 बार जप (सुरक्षा, पुजा शुभ एवं समपुर्ण होने की कामना करें।)

2👉 गुरू स्थापना प्रयोग – सबसे पहले चारमुख का दिया जलाकर निम्न मंत्र द्वारा गुरू का आह्वान करना चाहिए।
मंत्र –
।।गुरू दिन गुरू बाती, 
गुरू सहे सारी राती,
वास्तीक दियना, 
बार के गुरू के उतारां आरती।।

इस मंत्र का सात बार जाप करें।

3👉 फिर निम्न मंत्र द्वारा गुरू का ध्यान करना चाहिए।  ध्यान मंत्र अपने शरीर को रक्षा :-
ध्यान मंत्र:- 

।।गुरू सठ-गुरू सठ गुरू है विर,
गुरू साहब सुमिरों बड़ी भाँत,
सिगीं टोरों बनकहों मननाऊँ करतार,
सकल गुरू की हरभजे धट्टा पकर, उठ जाग,
चेत सम्भार श्री परहंस मेरे गुरू की कृपा अपार।।

इस मंत्र को 21 बार उच्चारण करना चाहिए।

4👉 फिर अपने शरीर को रक्षा मंत्रों द्वारा सुरक्षित कर लेना चाहिए।

भाग 1
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सुरक्षा मंत्र 1 – "उत्तर बांधों, दक्षिण बांधों, बांधों मरी मसानी, नजर - गुजर देह बांधों रामदुहाई फेरों शब्द शाचा, पिंड काचा फुरो मंत्र ईश्वरों बाचा।"

इस मंत्र को सात बार पढ़कर हथेली में फूक मारकर सारे शरीर में फिरा लें ऐसा करने से साधक का शरीर बंध जाता है और साधक सुरक्षित हो जाता है।

भाग 2
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शरीर रक्षा मंत्र 2 – "नमों आदि आदेश गुरू के जय हनुमान वीर महान करथों तोला प्रनाम,
भूत-प्रेत मरी-मशान भाग जाय तोर सुन के नाम, मोर शरीर के रक्षा करिबे नही तो सिता मैया के सैया पर पग ला धरबे, मोर फूके मोर गुरू के फुके गुरू कौन गौर महादेव के फूके जा रे शरीर बँधा जा।"

विधि – मंत्र को ग्यारह बार पढ़कर अपने चारों ओर एक घेरा बना ले इससे साधना में सभी विघ्नों से साधक की रक्षा होती है। इसके बाद किसी भी साधना का प्रयोग करने के लिए तैयार हो जाता है। फिर जो भी साधना या प्रयोग कर सकता है।

अब अपनी साधना प्रारंभ करें
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1 मंत्र:-👉 इस मंत्र में तीन देवियों की शक्तियां काम करती हैं जो कि निम्न प्रकार हैं--
१) माँ काली 
२) माँ कामाख्या 
३) माँ चंडी

अतः तीनों माताओं का अलग-अलग पंचोपचार पूजन करना चाहिए और उनसे साधना की सफलता के लिए कामना करनी चाहिए।
यह मंत्र रोगों के विनाश के लिए सर्व शक्तिशाली मंत्र कहा जाता है इस रोग से असाध्य बीमारियां भी सही होती हैं परंतु असाध्य बीमारियां सही करने के लिए इस मंत्र का कम से कम 50000 जाप करना बहुत जरूरी है। बाकी किसी भी बीमारी को सही करने के लिए जितना मैंने जाप नीचे लिखा है 10 दिन की साधना के लिए उतना ही काफी है।

ll ओम नमो केतकी ज्वालामुखी काली, दो वर-रोग पीडा दूर कर, सात समुद्र पार कर, आदेश कामरू देश कामाख्या माई, हाडी दासी चंडी की दुहाई ll

2 मंत्र:-👉 ।।ओम नमो आदेश गुरु को , 
बाल रखेे बालकी , कपाल रखे जोगनी, मुख रखे कुंभकरण , पीठ रखे विभीषण, नख रखे नरसिंह, कलेजी रखे काली भवानी , कम्बर रखे कम्बर का देव, पिण्ड रखे गोरखनाथ , पड़ा प्राण सात रखे गुरु के पास,
गुरु की शक्ति मेरी भक्ति चलो मंत्र ईश्वर वाचा।।

3 मंत्र:-👉 ।। बाबा आज बालक कहां चले, सवा लाख पर्वत पै चले , सवा लाख पर्वत से का लाए, लोहा लक्कड़ का करो , माथे से मारो , ताप तिजारी, बेल जुरा, नहरूवा टहरूवा , आधासीसी , राँगन वाय , ताप-तिल्ली इसी वक्त से भसम कर, ना करें तो ,मार हूँकार , नीलकंठ बाबा अजय पाल की दूहाई।।  
(नोट इस मंत्र को अमावस और पूर्णिमा को कर सकते हैं इस मंत्र को सिद्ध करने के लिए हवन में 121 आहुति गांजे की देनी होती है फिर किसी भी चीज से झाड़ने पर मंत्र में कहे गए सभी रोग सही हो जाते हैं)

 4 मंत्र:-👉 खेरे पै की आमली, अगर-बगर की डार,  तर भैंसा न जानिए, पालै तेली कलार, नौ गगरा मद के पिए, नौ सौ बकरा खाय, सांझी बाबा को चीर फार, शिव बाबा की जटा बुखार, छत्तीस रोग हांक के ना आवे , तो राजा भीम ना कहावे।।
( नोट - इस मंत्र में 108 घी की आहुति दे कर यह मंत्र जागृत हो जाता है)

5 मंत्र:-👉 यह मंत्र मिर्गी दूर करने का है।

।। ओम हलाहल सरगत मडिया पुडिया,  श्रीरामजी फुँके मिरगी बाई,  सुखे सुख होई , ओम ठः ठः स्वाहा।।

6 मंत्रः-👉 ।। ईसा ईसा कांच कपूर , चोर की शीशी अलिफ़ अक्षर जाने न कोई, खूनी बादी न होई, दुहाई सुलेमान बादशाह की।।

शौच के समय जो जल इस्तेमाल किया जाता है उस जल पर 11 बार मंत्र पढ़कर 3 फुक लगानी है फिर उस जल को इस्तेमाल करना है 7 दिन के अंदर बवासीर सही हो जाती है। इस मंत्र की एक माला प्रतिदिन 11 दिन तक करनी है जिससे या मंत्र सिद्ध हो जाता है उसके बाद इस्तेमाल करें।

7 मंत्रः-👉 ।। आक अरंडी फूल मंगावे,पुनि ता पर सेंदूर लगावे, गूगल धूप दे अति चायन, मंत्र-राज यह करिके गायन, ओम श्रीम हरीम फट् स्वाहा।।

मंत्र को बोलते हुए 3 अगरबत्ती 7 बार घड़ी की दिशा मे रोगी के सिर से उतार कर उन 3 अगरबत्ती को रोगी के बांए साइड के कोने मे गाड़ दो। रोगी के सभी रोगों के दोश मिट जाऐंगे।

साबर मंत्र ग्रामीण भाषा में लिखे हुए होते हैं अतः शब्दों में मात्रा में कोई भी फेरबदल नहीं कीजिए जैसा लिखा है वैसा ही पढ़ना है अगर एक भी शब्द की हेरफेर होती है तो मंत्र काम नहीं करेगा।

ऊपर की सारी विधि करने के पश्चात आवश्यकतानुसार मंत्र - 1 से मंत्र - 7 तक कोई भी मंत्र कर सकते हैं। या सभी मंत्र कर सकते हैं।

मंत्र उपयोग करने का तरीका
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जब भी आपको मंत्र से लाभ उठाना हो तब आप किसी भी रोगी को ठिक करने हेतु "एक ग्लास शुद्ध जल" लेकर उसपर 11 बार मंत्र बोलकर जल पे तीन फुंक लगाये। किस तरह वह जल अभिमंत्रित हो जाएगा । फिर वह जल रोगी को पिलाये तो 1 घंटे में रोगी को आराम मिलना प्रारंभ हो जाता है और यह क्रिया कुछ दिन नित्य करने से 7-8 दिन के अंदर पूर्णता: स्वस्थ हो जाता है।
जब हम मंत्र सिद्धी करते है तब हमारे स्वयम के रोग भी समाप्त होते है।

इस मंत्र को आप भभुत पर पढकर भी रोगी को दे सकते है या मोर पंख, नीम की टहनी , अगरबत्ती या चाकू से मंत्र बोलकर झाड़ा कर सकते है। जहां-जहां दर्द होता है वहां पर अभिमंत्रित भभुत प्रतिदिन लगाने पर दर्द हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है।

नोट👉 याद रहे इस विद्या से आप सामाजिक कल्याण करे और धनप्राप्ति हेतु करेगे तो आपकी सिद्धी समाप्त हो जायेगी।

         
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