17 Oct 2020

Hindu Panchang 17102020, Navratri Puja Shubh Muhurt

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Hindu Panchang 17102020, Navratri Puja Shubh Muhurt

आज का हिन्दू पंचांग


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आज का हिन्दू पंचांग


दिनांक 17 अक्टूबर 2020

दिन - शनिवार

विक्रम संवत - 2077 (गुजरात - 2076)

शक संवत - 1942

अयन - दक्षिणायन

ऋतु - शरद

मास - अश्विन

पक्ष - शुक्ल

तिथि - प्रतिपदा रात्रि 09:08 तक तत्पश्चात द्वितीया

नक्षत्र - चित्रा दोपहर 11:52 तक तत्पश्चात स्वाती

योग - विष्कम्भ रात्रि 09:25 तक तत्पश्चात प्रीति

राहुकाल - सुबह 09:31 से सुबह 10:57 तक

सूर्योदय - 06:36

सूर्यास्त - 18:11

दिशाशूल - पूर्व दिशा में

व्रत पर्व विवरण - शारदिय नवरात्रि प्रारंभ, घट-स्थापन, संक्रांति (पुण्यकाल सूर्योदय से दोपहर 11:05 तक)

विशेष - प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34) 




सूर्य नक्षत्र: चित्रा
चन्द्रमा: तुला
द्रिक ऋतु: शरद
वैदिक ऋतु: शरद
राहुकाल: 09:14:46 से 10:40:28 तक (इस काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है)
शुभ मुहूर्त का समय - अभिजीत मुहूर्त: 11:43:18 से 12:29:01 तक
दिशा शूल: पूर्व
अशुभ मुहूर्त का समय -
दुष्टमुहूर्त: 06:23:22 से 07:09:04 तक, 07:09:04 से 07:54:46 तक
कुलिक: 07:09:04 से 07:54:46 तक
कालवेला / अर्द्धयाम: 13:14:43 से 14:00:26 तक
यमघण्ट: 14:46:08 से 15:31:50 तक
कंटक: 11:43:18 से 12:29:01 तक
यमगण्ड: 13:31:51 से 14:57:33 तक
गुलिक काल: 06:23:22 से 07:49:04 तक



ब्रह्म पुराण' के 118 वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं- 'मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उनको कोई पीड़ा नहीं होगी। जो शनिवार को प्रातःकाल उठकर पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी।' (ब्रह्म पुराण')

शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए ' ॐ नमः शिवाय ' का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है। (ब्रह्म पुराण')

हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)



शारदीय नवरात्रिः सफलता के लिए

आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक शारदीय नवरात्रि पर्व होता है। यदि कोई पूरे नवरात्रि के उपवास-व्रत न कर सकता हो तो सप्तमी, अष्टमी और नवमी – तीन दिन उपवास करके देवी की पूजा करने से वह संपूर्ण नवरात्रि के उपवास के फल को प्राप्त करता है।

'श्रीमद् देवी भागवत' में आता है कि यह व्रत महासिद्धि देने वाला, धन-धान्य प्रदान करने वाला, सुख व संतान बढ़ाने वाला, आयु एवं आरोग्य वर्धक तथा स्वर्ग और मोक्ष तक देने में समर्थ है। यह व्रत शत्रुओं का दमन व बल की वृद्धि करने वाला है। महान-से-महान पापी भी यदि नवरात्रि व्रत कर ले तो संपूर्ण पापों से उसका उद्धार हो जाता है।

नवरात्रि का उत्तम जागरण वह है कि जिसमें- शास्त्र ज्ञान की चर्चा हो, प्रज्जवलित दीपक रखा हो, देवी का भक्तिभावयुक्त कीर्तन हो, वाद्य , ताल सहित का सात्त्विक संगीत हो, मन में प्रसन्नता हो, सात्त्विक नृत्य हो, डिस्को या ऐसे दूसरे किसी नृत्य का आयोजन न हो, सात्त्विक नृत्य, कीर्तन के समय भी जगदम्बा माता के सामने दृष्टि स्थिर रखें, किसी को बुरी नजर से न देखें।

नवरात्रि के दिनों में गरबे गाने की प्रथा है। पैर के तलुओ एवं हाथ की हथेलियों में शरीर की सभी नाड़ियों के केन्द्रबिन्दु हैं, जिन पर गरबे में दबाव पड़ने से 'एक्यूप्रेशर' का लाभ मिल जाता है एवं शरीर में नयी शक्ति-स्फूर्ति जाग जाती है। नृत्य से प्राण-अपान की गति सम होती है तो सुषुप्त शक्तियों को जागृत होने का अवसर मिलता है एवं गाने से हृदय में माँ के प्रति दिव्य भाव उमड़ता है। बहुत गाने से शक्ति क्षीण होती है। (क्या करें क्या न करें पुस्तक से )



संक्रांति

17 अक्टूबर 2020 शनिवार को संक्रांति (पुण्यकाल : सूर्योदय से दोपहर 11:05 तक)

इसमें किया गया जप, ध्यान, दान व पुण्यकर्म अक्षय होता है ।

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