2 Nov 2020

Bhagwan Shri Krishna Loves You: What are the basis of action?

 

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|| जय श्री कृष्ण ||

॥ श्रीमद्‍भगवद्‍गीता ॥ 18.18

 

_ज्ञानं ज्ञेयं परिज्ञाता त्रिविधा कर्मचोदना ।_

_करणं कर्म कर्तेति त्रिविधः कर्मसङ्ग्रहः॥_

 

भावार्थ :

ज्ञाता (जानने वाले का नाम 'ज्ञाताहै।)ज्ञान (जिसके द्वारा जाना जाएउसका नाम 'ज्ञानहै। ) और ज्ञेय (जानने में आने वाली वस्तु का नाम 'ज्ञेयहै।)- ये तीनों प्रकार की कर्म-प्रेरणा हैं और कर्ता (कर्म करने वाले का नाम 'कर्ताहै।)करण (जिन साधनों से कर्म किया जाएउनका नाम 'करणहै।) तथा क्रिया (करने का नाम 'क्रियाहै।)- ये तीनों प्रकार का कर्म-संग्रह है॥१८॥

 

Meaning:

Knowledge, the known and the knower, these three initiate action. The instruments, the target of action and the doer, these three are the basis of action.

 

EXPLANATION:

 

The culmination of the Gita teaching is the realization that our true nature is the eternal essence, that does not act in this world, nor experiences anything in this world, since action and experience are in the realm of Prakriti. Most of us, however, are still becoming qualified for this teaching through the practice of karma yoga. Shri Krishna recognizes the need to give an in depth analysis of action for people like us. To that end, he uses this shloka to begin that topic. Each word, each term needs to be understood clearly, since the regular meanings may confuse us.

 

So then, what is the genesis, the birth of an action? How does an action commence? Our sense organs send a report to the mind of having seen, felt, touched, tasted or smelled something. This is the process of perception. Or, a thought about a prior perception arises in the mind. Both these processes are the same for all people in this world. Both you and I perceive a red apple in the same manner. In this case, the red apple is termed as jneyam, an object which is known. This is step one.

 

What happens next? Both of us see the same red apple, but you may love it, someone else may hate it, and I would be indifferent to it. This difference in our view towards the apple, our worldview in general, is due to the difference in our samskaaras. We attach a certain meaning to objects, people and situations based on our samskaaras. This individual vision of the world is termed knowledge or jnyaanam. It looks at the object in question and generates a sense of attraction, repulsion or indifference. This is step two.

 

Next, this notion of attraction, repulsion or indifference creates a modification in the intellect called the "doer", the kartaa. It is a phantom, illusory entity which says "I want the red apple, go get it", or "I hate this red apple, throw it away". The doer issues these instructions to the karana, the organs of action, which then do as they are told. The action of grasping the apple or throwing it away is carried out. Note the the doer only comes into existence when there is attraction or repulsion. The jeeva is a witness, indifferent to likes or dislikes. So the doer, the organs of action and the object make up karma sangraha, the basis of action. This is step three.

 

When finally, the object, the target of action is consumed by the senses, another modification of the mind called the "enjoyer", the bhoktaa, arises. It creates the notion that "I have experienced this object, and it gave me joy/sorrow". This is the parijnyaata, the knower, mentioned in the shloka. Furthermore, a record of this experience, whether pleasurable or painful, is stored in the unconscious aspect of our personality, the causal body. This record, this samskaara, becomes the seed of future action by creating thoughts of desire in the mind, prompting further actions and experiences. This process of enjoyment of an object is the fourth step.

 

So these four steps taken together describe the lifecycle of an action, from start to finish.


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Hare Krishna


The Hare Krishna maha-mantra is composed of three Sanskrit words, which are “Hare”, “Krishna” and “Rama”. According to the scriptures “Obstruction or problem can’t come into their lives, who do chant this mantra continuously”. The Great Mantra is:

Hare Krishna, Hare Krishna, Krishna Krishna, Hare Hare
Hare Rama, Hare Rama, Rama Rama, Hare Hare

हरे कृष्ण हरे कृष्ण , कृष्ण कृष्ण हरे हरे |
हरे राम हरे राम , राम राम हरे हरे ||

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आज का हिन्दू पंचांग




(मोबाइल में रोटेशन ओंन करके पढ़ें )

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दिनांक 02 नवम्बर 2020

दिन - सोमवार

विक्रम संवत - 2077 (गुजरात - 2076)

शक संवत - 1942

अयन - दक्षिणायन

ऋतु - हेमंत

मास - कार्तिक

पक्ष - कृष्ण

तिथि - द्वितीया 03 नवम्बर रात्रि 01:13 तक तत्पश्चात तृतीया

नक्षत्र - कृत्तिका रात्रि 11:50 तक तत्पश्चात रोहिणी

योग - वरीयान् 03 नवम्बर प्रातः 06:04 तक तत्पश्चात परिघ

राहुकाल - सुबह 08:07 से सुबह 09:32 तक

सूर्योदय - 06:43

सूर्यास्त - 18:01

(सूर्योदय और सूर्यास्त के समय में हर जिले के लिए अंतर हो सकता है)

दिशाशूल - पूर्व दिशा में

व्रत पर्व विवरण -

विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराणब्रह्म खंडः 27.29-34)

 

विष्णु भगवान की पूजा में तुलसी दल चढ़ाना जरूरी होता है इसलिए तुलसी का पत्ता तोड़ते समय ॐ सुभद्राय नम:मातस्तुलसि गोविन्द हृदयानन्द कारिणी,नारायणस्य पूजार्थं चिनोमि त्वां नमोस्तुते।। मंत्र का जाप करें। इससे पूजा का दोगुना लाभ मिलेगा

जीवन में सफलता पाने के लिए महाप्रसाद जननीसर्व सौभाग्यवर्धिनीआधि व्याधि हरा नित्यंतुलसी त्वं नमोस्तुते।। मंत्र का जाप करें। इससे तरक्की के नए रास्ते खुलेंगे.

रामा तुलसी हर जगह आसानी से देखने वाली तुलसी होती हैजिसके पत्ती हल्के हरे रंग की होती हैं। राम तुलसी का पूजा आदि में अधिक प्रयोग होता है। ... श्यामा तुलसी एक ऐसी किस्म होती हैजिसकी पत्तीमंजरी व शाखाएं बैंगनी-काले से रंग की होती हैं।

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार अगर तुलसी जी पर जल चढ़ाते समय 'ॐ-ॐमंत्र का 11 या 21 बार जाप किया जाए तो बुरी नजर से बचाव होता है. साथ ही घर में धनधान्य की वृद्धि होती है.

अगर किसी को नजर लग गई हो तो उसके सिर से लेकर पाँव तक 7 तुलसी के पत्ते और 7 कालीमिर्च के दाने लेकर 21 बार उतार लेंफिर इसे नदी में प्रवाहित कर देंइससे बुरी नजर दूर हो जाएगी.

भगवान विष्णु को तुलसी चढ़ाते समय इसमें चंदन लगाएंइससे विष्णु जी प्रसन्न होंगे। ऐसा करने से घर में बरक्कत भी होगी.

तुलसी जी की पूजा करते समय शुद्ध देसी घी का दीपक जरूर जलाएंइससे सकारात्मकता बढ़ेगी. साथ ही घर में समृद्धि आएगी.

घर में हरा-भरा तुलसी का पौधा परिवार की पवित्रता और समृद्धि का प्रतीक है। तुलसी पौधे को जल चढ़ाते हुए यह विशेष मंत्र बोला जाए तो समृद्धि का वरदान 1000 गुना बढ़ जाता है। रोगशोकबीमारी-व्याधि आदि से छुटकारा मिलता है।

महाप्रसाद जननीसर्व सौभाग्यवर्धिनी

आधि व्याधि हरा नित्यंतुलसी त्वं नमोस्तुते।।

कार्तिक में दीपदान

31 अक्टूबर से 30 नवम्बर तक कार्तिक मास है ।

 

 

महापुण्यदायक तथा मोक्षदायक कार्तिक के मुख्य नियमों में सबसे प्रमुख नियम है दीपदान। दीपदान का अर्थ होता है आस्था के साथ दीपक प्रज्वलित करना। कार्तिक में प्रत्येक दिन दीपदान जरूर करना चाहिए।

 पुराणों में वर्णन मिलता है।

 “हरिजागरणं प्रातःस्नानं तुलसिसेवनम् । उद्यापनं दीपदानं व्रतान्येतानि कार्तिके।।“ (पद्मपुराणउत्तरखण्डअध्याय 115)

 “स्नानं च दीपदानं च तुलसीवनपालनम् । भूमिशय्या ब्रह्मचर्य्यं तथा द्विदलवर्जनम् ।।

विष्णुसंकीर्तनं सत्यं पुराणश्रवणं तथा । कार्तिके मासि कुर्वंति जीवन्मुक्तास्त एव हि ।।” (स्कन्दपुराणवैष्णवखण्डकार्तिकमासमाहात्म्यमअध्याय 03)

 पद्मपुराण उत्तरखंडअध्याय 121 में कार्तिक में दीपदान की तुलना अश्वमेघ यज्ञ से की है :

 घृतेन दीपको यस्य तिलतैलेन वा पुनः। ज्वलते यस्य सेनानीरश्वमेधेन तस्य किम्।

 कार्तिक में घी अथवा तिल के तेल से जिसका दीपक जलता रहता हैउसे अश्वमेघ यज्ञ से क्या लेना है।

 अग्निपुराण के 200 वे अध्याय के अनुसार

 दीपदानात्परं नास्ति न भूतं न भविष्यति

 दीपदान से बढ़कर न कोई व्रत हैन था और न होगा ही

 स्कंदपुराणवैष्णवखण्ड के अनुसार

 सूर्यग्रहे कुरुक्षेत्रे नर्मदायां शशिग्रहे ।। तुलादानस्य यत्पुण्यं तदत्र दीपदानतः ।।

 कुरुक्षेत्र में सूर्यग्रहण के समय और नर्मदा में चन्द्रग्रहण के समय अपने वजन के बराबर स्वर्ण के तुलादान करने का जो पुण्य है वह केवल दीपदान से मिल जाता है।

कार्तिक में दीपदान का एक मुख्य उद्देश्य पितरों का मार्ग प्रशस्त करना भी है।

 "तुला संस्थे सहस्त्राशौ प्रदोषे भूतदर्शयोः

उल्का हस्ता नराः कुर्युः पितृणाम् मार्ग दर्शनम्।।"

 पितरों के निमित्त दीपदान जरूर करें।

 पद्मपुराणउत्तरखंडअध्याय 123 में महादेव कार्तिक में दीपदान का माहात्म्य सुनाते हुए अपने पुत्र कार्तिकेय से कहते हैं ।

 शृणु दीपस्य माहात्म्यं कार्तिके शिखिवाहन। पितरश्चैव वांच्छंति सदा पितृगणैर्वृताः।।

भविष्यति कुलेऽस्माकं पितृभक्तः सुपुत्रकः। कार्तिके दीपदानेन यस्तोषयति केशवम्।।

 “मनुष्य के पितर अन्य पितृगणों के साथ सदा इस बात की अभिलाषा करते हैं कि क्या हमारे कुल में भी कोई ऐसा उत्तम पितृभक्त पुत्र उत्पन्न होगाजो कार्तिक में दीपदान करके श्रीकेशव को संतुष्ट कर सके। 

 

पंचक

21 नवंबर रात्रि 10.24 से 26 नवंबर रात्रि 9.20 बजे तक

19 दिसंबर प्रातः 7.16 से 23 दिसंबर तड़के 4.32 बजे तक

एकादशी

रमा एकादशी- 11 नवंबर दिन बुधवार

देवुत्थान एकादशी- 25 नवंबर दिन बुधवार

उत्पन्ना एकादशी- 11 दिसंबर दिन शुक्रवार

मोक्षदा एकादशी- 25 दिसंबर दिन शुक्रवार

प्रदोष

शुक्रवार, 13 नवंबर - प्रदोष व्रत (कृष्ण)

शुक्रवार, 27 नवंबर - प्रदोष व्रत (शुक्ल)

शनिवार, 12 दिसंबर - शनि प्रदोष व्रत (कृष्ण)

रविवार, 27 दिसंबर - प्रदोष व्रत (शुक्ल)

अमावस्या

रविवार, 15 नवंबर कार्तिक अमावस्या

सोमवार, 14 दिसंबर मार्गशीर्ष अमावस्या

पूर्णिमा

सोमवार, 30 नवंबर कार्तिक पूर्णिमा व्रत

बुधवार, 30 दिसंबर मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत


आज का राशिफल



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अपनी राशि के अनुसार जानिए क्या कहता है आपका राशिफल।
प्रत्येक राशि का राशिफल चंद्र ग्रह की गणना पर आधारित होता है। राशिफल को निकालते समय पंचांग की गणना और सटीक खगोलीय विवरण का विश्लेषण किया जाता है। वैदिक पूजन के द्वारा दैनिक राशिफल में बारह राशियों का भविष्यफल बताया जाता है। यहाँ पर दिये गए राशिफल को पढ़कर आप अपनी रोजाना की योजनाओं को सफल बनाने में कामयाब हो सकते है । इस राशिफल में आपके लिए व्यापार, लेन-देन, नौकरी, परिवार, सेहत और मित्रों के साथ संबंध एवं दिन भर में होने वाली शुभ-अशुभ घटनाओं के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी जाती है।

 

मेष

आजकल को चिंताओं से दूर रखने की कोशिश करनी पड़ेगी। खर्चों में जो तेजी बनी आ रही थीवह आज कम होगी और आमदनी में बढ़ोतरी दिखाई देगी। पैसा बैंक में जमा कर पाने में भी सफलता मिल सकती है। परिवार के साथ समय बिताएंगे और अच्छा भोजन करेंगे। किसी अनुभवी व्यक्ति का मार्गदर्शन आपके काम आएगा। दांपत्य जीवन बिता रहे लोग आज अच्छा तालमेल रखेंगे तथा प्रेम जीवन बिताने वाले लोगों को आज अपने प्रिय की चिंता सताएगी। काम के सिलसिले में दिनमान आपको एकाग्र चित्त होकर काम करने के लिए प्रेरित कर रहा है।

वृष

आज आप भरपूर आत्मविश्वास से भरे रहेंगे। इसकी वजह से आपके काम में भी कोई चुनौती बड़ी दिखाई नहीं देगी और आप अच्छा काम करेंगे। निजी जीवन की भी समस्याओं को दूर करने में आज आप समय देंगे। मानसिक रूप से मजबूत रहेंगेजिससे समस्याओं में कमी आएगी। आपकी संतान से अच्छे समाचार सुनने की संभावना बनेगी और निजी जीवन में खुशी रहेगी। यदि आप किसी से प्रेम करते हैं तो आज उनके साथ घूमने जाने का मौका मिलेगा। शादीशुदा लोग अपने गृहस्थ जीवन में घुल मिलकर रहेंगे और अपने जीवन साथी से कुछ खरीदारी की बात करेंगे।

मिथुन

आज वाद विवाद में सफलता मिलेगी। कोर्ट कचहरी से संबंधित काम का फैसला आपके लिए अच्छा रहेगा। इस संबंध में कुछ खर्चे भी हो सकते हैं लेकिन आमदनी अच्छी रहने से आपको कोई बड़ी समस्या नहीं होगी। पारिवारिक जीवन आपको संतुष्टि देगा और घरवालों के साथ आज कुछ समय भी बिताएंगे। दांपत्य जीवन में खुशियां बढ़ेंगी और काम के सिलसिले में आपको आज थोड़ा तनाव झेलना पड़ सकता है। काम का बोझ अधिक होगा। प्रेम जीवन बिता रहे लोग अपने प्रिय के साथ कोई नया बिजनेस शुरू करने की बात कर सकते हैं।

कर्क

आज का दिन आपके लिए बहुत अच्छा रहेगा। आपकी आमदनी में आज अच्छी वृद्धि होगी और आपके पास कहीं से पैसे आ सकते हैं। आपके अपने भी आप पर जान छिड़केंगे और उनका प्यार आपको प्राप्त होगा। प्रेम जीवन बिता रहे लोग कुछ असमंजस की स्थिति में रहेंगे लेकिन जो लोग शादीशुदा हैंवो अपने दांपत्य जीवन का सुख प्राप्त करेंगे। आपको अपनी सेहत का थोड़ा ध्यान रखना होगा और धन कमाने के लिए किसी गलत चक्कर से बचकर रहें। जीवन में खुशियों का दौर शुरू होगा। काम के सिलसिले में आज आपके हाथ में कुछ नए असाइनमेंट लग सकते हैं।

सिंह

आज आप अपने काम को सबसे ज्यादा तरजीह देंगे और इसलिए कार्य क्षेत्र में आज का दिन बेहद अच्छा रहेगा। यदि आप किसी से प्रेम करते हैं तो आज आपको अपने प्रिय से कुछ निराशा होगी क्योंकि वो आपकी कोई बात को मानने से इंकार कर देंगे। शादीशुदा लोग अपने गृहस्थ जीवन को खुशनुमा बनाने के लिए बहुत प्रयास करेंगे और इसका उन्हें अच्छा लाभ भी मिलेगा लेकिन जीवन साथी की सेहत उन्हें परेशान करेगी। परिवार को आज आप की जरूरत पड़ सकती है। इनकम को बढ़ाने के लिए कोई नया रास्ता अपना सकते हैं।

कन्या

आज पारिवारिक संतुष्टि रहेगी। परिवार के लोगों का स्वास्थ्य यदि बिगड़ा हुआ था तो आज उसमें सुधार दिखाई देगा। पूजा-पाठ या कोई धार्मिक काम हो सकता है। ट्रैवलिंग पर जाने की प्लानिंग हो सकती है। कहीं दूर यात्रा या किसी पवित्र नदी में स्नान करने की इच्छा जागेगी। समाज में मान सम्मान मिलेगा। कुछ नया करने का विचार मन में आएगाजो दूसरों की भलाई के लिए होगा। काम के सिलसिले में आज का दिन प्रेरित करने वाला होगा। दांपत्य जीवन के मसले ध्यान खींचेंगे। प्रेम जीवन बिता रहे लोग खुश नजर आएंगे।

तुला

आज अपने कार्य क्षेत्र में उतार-चढ़ाव से थोड़े परेशान हो सकते हैं। काफी भागदौड़ भी रहेगीजिससे अधिकांश समय व्यर्थ होगा। अपने साथ काम करने वालों से अच्छा बर्ताव करना जरूरी होगानहीं तो मुसीबत आ सकती है लेकिन अचानक से आमदनी बढ़ने की कोई संभावना नजर आ जाएगी। आज अपनी सेहत का ध्यान रखेंचोट लग सकती है। शादीशुदा लोग अपने गृहस्थ जीवन को बढ़िया बनाने के लिए अपने जीवनसाथी से आज कुछ बातें करेंगे जबकि प्रेम जीवन बिता रहे लोग अपने रिश्ते से संतुष्ट नजर आएंगे।

वृश्चिक

आज आपका मन बहुत खुश होगा। आपके रुके हुए काम अपने आप आगे बढ़ना शुरू हो जाएंगेजिससे मानसिक तौर पर हर्ष होगा और आज आपका दांपत्य जीवन भी खुशी से भरा रहेगा। जीवन साथी साथ में मिलकर घर की खुशहाली के लिए कुछ करने की कोशिश करेंगे। प्रेम जीवन बिता रहे लोग अपने प्रिय के गुस्से वाले स्वभाव से थोड़े दुखी हो सकते हैं। काम को लेकर आप काफी व्यस्त भी रहेंगे और काफी एक्टिव भी। बिजनेस पार्टनर से आपके रिलेशन में सुधार होगाजिसका असर आपके काम पर पड़ेगा। अपनी सेहत का ध्यान रखें।

धनु

आज आपको अपने खर्चों से छुटकारा मिल सकता है और इनकम बढ़ने के योग बनेंगे। आपके पैसे आपका कोई दोस्त चुका सकता हैजिससे आपकी दिवाली बन जाएगी। आज अचानक से किसी अनचाही यात्रा पर जाने के योग बन रहे हैंइसलिए सावधानी से जाएं ताकि कोई समस्या ना हो। आज का दिन काफी बिजी रहेगा और आपको अपने कार्य क्षेत्र में भी थोड़ा ध्यान देना पड़ेगा। इधर-उधर की बातों से हटकर अपने काम पर ध्यान दें संतान से सुख मिलेगा। शादीशुदा लोगों को साथ लेकर शॉपिंग करने जाएंगे।

मकर

आज आप अपने प्रेम जीवन को लेकर बहुत खुश नजर आएंगे। आपका प्रिय भी बढ़-चढ़कर आपकी तारीफ करेगाजो आपका दिल छू जाएगी और आप उन्हें कोई अच्छा सा गिफ्ट देंगे। शादीशुदा लोग अपने दांपत्य जीवन में बेहद खुश नजर आएंगे और जीवन साथी की तारीफ में कसीदे पढ़ेंगे। काम के सिलसिले में आप बहुत जोर लगाकर अपने काम को करेंगे और तारीफ के लिए जगह बनाएंगे। इनकम सामान्य रहेगी और खर्चे भी नियंत्रण में रहेंगे। भाइयों से कहासुनी हो सकती है। प्रेम की वृद्धि होगीजिससे पारिवारिक जीवन खुशनुमा बनेगा

कुंभ

आज आप पारिवारिक जीवन में तालमेल बढ़ाने की कोशिश करेंगे। ऐसी ऐसी बातें करेंगेजो आपके परिजनों के चेहरे पर खुशी लेकर आए। काम के सिलसिले में आपको थोड़ा सा ध्यान देना होगाआपका मन वहां से हट सकता है। बिजनेस के लिए आज का दिन बहुत अच्छा है और आगे बढ़ सकते हैं। आज नई शुरुआत करने के लिए बेहद अच्छा दिन है। अपने साथ काम करने वालों से बढ़िया बर्ताव करें और अपने बॉस को भी खुश रखने की कोशिश करें। शादीशुदा लोग गृहस्थ जीवन से संतुष्ट नजर आएंगे और प्रेम जीवन बिता रहे लोग भी अपने प्रिय को शादी के लिए मनाने में कामयाबी हासिल कर सकते हैं।

मीन

खुद के गुस्से पर नियंत्रण रखेंगे तो आज का दिन बहुत अच्छा जाएगा। ट्रेवलिंग करने के योग बन रहे हैं और उसमें कुछ नए दोस्त भी बन सकते हैं। कार्यक्षेत्र में आपका ध्यान लगाकर काम करना आपके ही पक्ष में रहेगा और आपको बहुत अच्छे नतीजे मिलेंगे। शादीशुदा लोग गृहस्थ जीवन में रोमांटिक पलों का आनंद लेंगे जबकि प्रेम जीवन बिता रहे लोग अपने रिश्ते को लेकर काफी गंभीर रहेंगे। स्वास्थ्य को लेकर आपको परेशान होना पड़ सकता हैइसलिए लापरवाही ना दिखाएं। अगर कोई समस्या है तो डॉक्टर से मिलें।

जिनका आज जन्मदिन है उनको हार्दिक शुभकामनाएं


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दिनांक 2 को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 2 होगा। इस मूलांक को चंद्र ग्रह संचालित करता है। चंद्र ग्रह मन का कारक होता है। आप अत्यधिक भावुक होते हैं। आप स्वभाव से शंकालु भी होते हैं। दूसरों के दर्द से आप परेशान हो जाना आपकी कमजोरी है। आप मानसिक रूप से तो स्वस्थ हैं लेकिन शारीरिक रूप से कमजोर हैं। चंद्र ग्रह स्त्री ग्रह माना गया है। अत: आप अत्यंत कोमल स्वभाव के हैं। आपमें अभिमान तो जरा भी नहीं होता। चंद्र के समान आपके स्वभाव में भी उतार-चढ़ाव पाया जाता है। आप अगर जल्दबाजी को त्याग दें तो आप जीवन में सफल होते हैं।

शुभ दिनांक : 2, 11, 20, 29

शुभ अंक : 2, 11, 20, 29, 56, 65, 92

शुभ वर्ष : 2027, 2029, 2036

ईष्टदेव : भगवान शिवबटुक भैरव

शुभ रंग : सफेदहल्का नीलासिल्वर ग्रे

कैसा रहेगा यह वर्ष

वर्ष काफी समझदारी से चलने का रहेगा। लेखन से संबंधित मामलों में सावधानी रखना होगी। बगैर देखे किसी कागजात पर हस्ताक्षर ना करें। किसी नवीन कार्य योजनाओं की शुरुआत करने से पहले बड़ों की सलाह लें। व्यापार-व्यवसाय की स्थिति ठीक-ठीक रहेगी। स्वास्थ्य की दृष्टि से संभल कर चलने का वक्त होगा। पारिवारिक विवाद आपसी मेलजोल से ही सुलझाएं। दखलअंदाजी ठीक नहीं रहेगी।


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आपके ज्यादातर कार्य असफल हो रहे हैं तो यह करें

आप चाहते हैं की आपके द्वारा किये गए कार्य सफल हो लेकिन कार्य के प्रारम्भ होते ही उसमें विध्न आ जाते हैं और वह असफल हो जाते हैं इसके लिए आप यह करें: प्रातःकाल कच्चा सूत लेकर सूर्य के सामने मुंह करके खड़े हो जाएं। फिर सूर्य देव को नमस्कार करके 'ॐ हीं घ्रणि सूर्य आदित्य श्रीममंत्र बोलते हुए सूर्य देव को जल चढ़ाएं। जल में रोलीचावलचीनी तथा लाल पुष्प दाल लें। इसके पश्चात कच्चे सूत को सूर्य देव की तरफ करते हुए गणेशजी का स्मरण करते हुए सात गाँठ लगाएं। इसके पश्चात इस सूत को किसी खोल में रखकर अपनी कमीज की जेब में रख लेंआपके बिगड़े कार्य बनाने लगेंगे।

 

कन्या के विवाह में विलम्ब होने पर

अगर आपकी कन्या के विवाह में विलम्ब हो रहा हो या कन्या के लिए योग्य वर की तलाश पूरी नहीं हो रही हो तो किसी भी गुरूवार के दिन प्रातःकाल नहा धोकर बेसन के लड्डू स्वयं बनाएं। उनकी गिनती 109 होनी चाहिए। फिर पीले रंग की टोकरी में पीले रंग का कपड़ा बिछाकर उन लड्डूओं को उसमें रख दें तथा अपनी श्रद्धानुसार कुछ दक्षिणा रख दें। पास के किसी शिव मंदिर में जाकर विवाह हेतु प्रार्थना कर घर आ जाएं।

1 Nov 2020

Bhagwan Shri Krishna Loves You: What is sumati?

 

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|| जय श्री कृष्ण ||

॥ श्रीमद्‍भगवद्‍गीता ॥ 18.17

 

_यस्य नाहङ्‍कृतो भावो बुद्धिर्यस्य न लिप्यते ।_

_हत्वापि स इमाँल्लोकान्न हन्ति न निबध्यते॥_

 

भावार्थ :

जिस पुरुष के अन्तःकरण में 'मैं कर्ता हूँऐसा भाव नहीं है तथा जिसकी बुद्धि सांसारिक पदार्थों में और कर्मों में लिपायमान नहीं होतीवह पुरुष इन सब लोकों को मारकर भी वास्तव में न तो मरता है और न पाप से बँधता है। (जैसे अग्निवायु और जल द्वारा प्रारब्धवश किसी प्राणी की हिंसा होती देखने में आए तो भी वह वास्तव में हिंसा नहीं हैवैसे ही जिस पुरुष का देह में अभिमान नहीं है और स्वार्थरहित केवल संसार के हित के लिए ही जिसकी सम्पूर्ण क्रियाएँ होती हैंउस पुरुष के शरीर और इन्द्रियों द्वारा यदि किसी प्राणी की हिंसा होती हुई लोकदृष्टि में देखी जाएतो भी वह वास्तव में हिंसा नहीं है क्योंकि आसक्तिस्वार्थ और अहंकार के न होने से किसी प्राणी की हिंसा हो ही नहीं सकती तथा बिना कर्तृत्वाभिमान के किया हुआ कर्म वास्तव में अकर्म ही हैइसलिए वह पुरुष 'पाप से नहीं बँधता'।)॥१७॥

 

Meaning:

One who does not have the notion that I am the doer, whose intellect is not tainted, he does not kill, nor is he bound, even by killing these beings.

 

EXPLANATION:

Previously, we came across the incorrect understanding of action. Whenever we think "I am performing this action", it is incorrect, born out of ignorance, it is durmati. Shri Krishna now gives us the correct understanding. When we think that "this action is being performed by the five factors of Prakriti, not by me", this is the correct understanding, this is sumati. And after the action is performed, we do not let the result of the action impact us. In other words, we are not attached to the reward of action.

 

The most common concern towards this kind of understanding is that it will make us weak and fatalistic, especially when we are still engaged in karma yoga. That is why it has to be combined with the idea of selfless service. A modern interpretation of this notion is : do your best, and leave the rest. As we continue our journey in karma yoga, our selfish desires and vaasanaas will slowly wither away, paving the way for the knowledge of the self in the second chapter to take root in our mind. Then we will come to the realization that only the self, the aatmaa is real or sat. Actions are in the realm of Prakriti, of Maaya, which is asat or illusory.

 

Per Shri Shankarachaarya’s commentary, this shloka embodies the sum and substance of the Gita and even of all the Vedas. We start our lives thinking that we are the body. The scriptures, the Vedas, tell us that we are not the body, we are the jeeva who has to use his body and mind to perform selfless service. Now, at the conclusion of the Vedas, Veda-anta, we are told that we are beyond the jeeva. This attitude of non-identification with the doership of actions differentiates a sanyaasi, a monk, from a tyaagi, one who has renounced action, per the original question of Arjuna in this chapter.

 

With the words "he kills, but does not kill", we are transported back to the second chapter, where Shri Krishna was convincing Arjuna to engage in the Mahaabhaarata war. So then, what is left? From a practical standpoint, we still have to deal with science of action. Unless we understand it fully, we will never be able to distance ourselves from the notion of doership. Shri Krishna continues his analysis of action from the standpoint of the three gunaas, since he has proven that action is in the realm of Prakriti.

 

Shri Krishna says that our entire life is steeped in the incorrect notion that we perform actions. With regards to the analogies taken up, the self is stationary, and Prakriti is moving. But we do not see this because our intellect is untrained. It is akrita buddhi. We have not imbibed the knowledge that action is performed by the five factors mentioned in the prior shlokas. The scriptures, and Shri Krishna, are repeatedly informing us that ultimately Ishvara’s Prakriti is performing all the actions, not our self, not the aatmaa, not the eternal essence. But we fail to see this. We are durmati, we have a perverted understanding.

 

Unless someone hears this statement from a teacher well versed in the scriptures, this ancient misunderstanding never comes up for questioning. The most common understanding is that the body is the self, the aatmaa. Some other people think that the jeeva, the individualized soul, is the aatmaa. But both these schools of thought attribute action to the aatmaa, which is incorrect. Furthermore, even the results of the actions go to the Prakriti. They do not go to the self, the aatmaa. The aatmaa is kevala, it is untainted, pure, and incapable of any change, modification or action. So then, what is the correct understanding? This is taken up next.


Chant the mantra you have faith in




Hare Krishna


The Hare Krishna maha-mantra is composed of three Sanskrit words, which are “Hare”, “Krishna” and “Rama”. According to the scriptures “Obstruction or problem can’t come into their lives, who do chant this mantra continuously”. The Great Mantra is:

Hare Krishna, Hare Krishna, Krishna Krishna, Hare Hare
Hare Rama, Hare Rama, Rama Rama, Hare Hare

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